महाराष्ट्र में रविवार को जिस तरीके से राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला और अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी में बड़ी टूट हुई, उसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र जैसी स्थिति बिहार में भी जल्द दोहराई जा सकती है.
पिछले तीन-चार दिनों के घटनाक्रम पर अगर नजर डालें तो राजनीतिक तौर पर ऐसी कई चीजें हुई है जो सामान्य नहीं है और इस ओर इशारा कर रही है कि महाराष्ट्र में जिस तरीके से एनसीपी में टूट हुई है वैसी ही टूट बिहार में जनता दल यूनाइटेड में देखने को मिल सकती है. कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर एनडीए में वापस आ सकते हैं.
नीतीश कुमार को लेकर अमित शाह दिखे नरम
पिछले साल अगस्त में नीतीश कुमार के बीजेपी से अलग होकर आरजेडी के साथ नई सरकार बनाने के बाद से बीते 10 महीने में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 5 बार बिहार आ चुके हैं. उन्होंने हर बार अपने भाषण में नीतीश कुमार पर जोरदार हमला किया है और ऐलान किया है कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं.
मगर दिलचस्प बात यह है कि 29 जून को जब अमित शाह बीते 10 महीने में पांचवीं बार बिहार पहुंचे थे तो लखीसराय की जनसभा में उन्होंने इस बात को नहीं दोहराया कि नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं.
इसके उलट, अमित शाह भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर नीतीश कुमार की अंतरात्मा को जगाने की कोशिश करते रहे और सवाल खड़े किए कि नीतीश कुमार केवल सत्ता पाने के लिए ऐसे लोगों के साथ गठबंधन कर रहे हैं जिनके ऊपर 20 लाख करोड़ से भी ज्यादा के घोटाले के आरोप हैं.
अमित शाह के इस नरम रुख के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे में कयासबाजी शुरू हो गई कि क्या बीजेपी भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर नीतीश कुमार के लिए एक बार फिर पलटी मारने के लिए ग्राउंड तैयार कर रही है.
गौरतलब है कि 2017 में भी बीजेपी ने तेजस्वी यादव के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर नीतीश कुमार के लिए मैदान तैयार कर दिया था. इसके बाद नीतीश कुमार ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर आरजेडी से गठबंधन तोड़ कर दोबारा बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी.
मौजूदा वक्त में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद का परिवार लैंड फॉर जॉब घोटाला और आईआरसीटीसी घोटाला में फंसा हुआ है और इन दोनों मामलों में जांच एजेंसियों की कार्रवाई भी तेज हो चुकी है. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर तेजस्वी यादव (लैंड फॉर जॉब घोटाले में पहले भी सीबीआई के सामने जांच के लिए पेश हो चुके हैं) को आने वाले दिनों में गिरफ्तार कर लिया जाता है तो यह नीतीश कुमार के लिए दोबारा एनडीए में आने के लिए एक मुफीद वजह हो सकती है और वो महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ आ सकते हैं.
नीतीश कुमार की विधायकों के साथ 1-2-1 मुलाकात
नीतीश कुमार आमतौर पर अपने विधायकों के साथ 1-2-1 मुलाकात नहीं करते हैं. लेकिन पिछले तीन-चार दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर डालें तो जिस दौरान अमित शाह लखीसराय आए हुए थे उससे 2 दिन पहले से ही नीतीश कुमार ने अपने सभी विधायकों के साथ एक-एक करके मुलाकात करना शुरू कर दिया था.
विधायकों के साथ एक-एक कर मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार अपने विधायकों से उनके क्षेत्र की परेशानियों के बारे में जानकारी ले रहे हैं और उनसे कह रहे हैं कि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी हो तो वह लिखित में मुख्यमंत्री को दे सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार अपने विधायकों से एकजुट रहने के लिए भी कह रहे हैं.
नीतीश कुमार की अपने विधायकों के साथ एक-एक करके इस बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार को भी अपनी पार्टी में टूट का खतरा लग रहा है. इसी कारण से वह अपने विधायकों के मन को टटोल रहे हैं और उन्हें एकजुट रहने के लिए कह रहे हैं. इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार संभवत: आने वाले दिनों में कहीं फिर से पलटी मारने की तो नहीं सोच रहे हैं जिसको लेकर वह अपने विधायकों को एकजुट रहने के लिए कह रहे हैं.
23 जून को विपक्षी दलों की बैठक के विदेश दौरे पर तेजस्वी
पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की बैठक के अगले दिन से ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विदेश दौरे पर रवाना हो गए हैं और अब तक वापस नहीं लौटे हैं. राजनीतिक गलियारे में इस बात को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरीके से विपक्षी दलों की बैठक में राहुल गांधी के नेतृत्व करने को लेकर सभी दलों में रजामंदी दिखी उसको लेकर लालू प्रसाद और तेजस्वी नाखुश हैं.
गौरतलब है, पिछले कुछ महीनों से लगातार आरजेडी की तरफ से इस बात को लेकर दबाव बनाया जा रहा था कि नीतीश कुमार विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बन जाए और फिर तेजस्वी यादव को बिहार की सत्ता सौंप दें. लेकिन 23 जून की बैठक में जिस तरीके से राहुल गांधी के नेतृत्व में सभी विपक्षी पार्टियों ने काम करने को लेकर रजामंदी जताई थी उसके बाद लालू और तेजस्वी नाखुश हैं.
आरजेडी खेमे में इस बात को लेकर रोष है कि अगर नीतीश कुमार दिल्ली नहीं जाते हैं या फिर विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नहीं बनते हैं तो वह बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और फिर 2025 तक तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ेगा. उनके मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं होगा.
सुशील मोदी की भविष्यवाणी
दूसरी तरफ महाराष्ट्र में हुए सियासी खेल के बाद अब बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी अपने एक ट्वीट से बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. उन्होंने दावा किया है कि जिस तरीके का विद्रोह एनसीपी में हुआ है वैसा ही बिहार में भी संभव है.
सुशील मोदी ने कहा है कि एनसीपी में टूट 23 जून को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक का परिणाम है जहां राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैयारी की जा रही थी.
सुशील मोदी ने दावा किया है कि बहुत जल्द बिहार में भी जेडीयू में टूट हो सकती है और इसी टूट के डर से नीतीश कुमार अपने विधायकों के साथ अलग-अलग बात कर रहे हैं. सुशील मोदी ने कहा है कि जनता दल यूनाइटेड के विधायक और सांसद ना राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे ना तेजस्वी यादव को स्वीकार करेंगे और इसी कारण से पार्टी के अंदर जल्द भगदड़ मच सकती है.
मोदी का दावा है कि आरजेडी और जनता दल यूनाइटेड के गठबंधन के बाद 2024 लोकसभा चुनाव में कई जनता दल यूनाइटेड के सांसदों के टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है और इसी कारण से पार्टी के अंदर बड़ा विद्रोह हो सकता है.