पहलवानों का आरोप और खेल मंत्रालय के एक्शन के बीच अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि भारतीय कुश्ती फेडरेशन (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का अगला दांव क्या होगा? क्या वह कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देंगे या पद न छोड़ने के अपने स्टैंड पर कायम रहेंगे? इस बात का फैसला आज (22 जनवरी) उत्तर प्रदेश के अयोध्या में होने वाली कुश्ती संघ की कार्यकारिणी बैठक में हो सकता था. इस बैठक में बृजभूषण शरण सिंह अपना पक्ष कार्यकारिणी के सदस्यों के सामने रखने वाले थे. फिर उनके अध्यक्ष पर बने रहने या हटने पर चर्चा होने वाली थी. लेकिन आखिरी समय पर बैठक रद्द कर दी गई.
बृजभूषण शरण सिंह पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. उन पर भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष पद छोड़ने का दवाब बनाया जा रहा है, लेकिन वह इस्तीफा देने को राजी नहीं हैं. खेल मंत्रालय ने सभी गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाते हुए WFI को गोंडा (यूपी) में चल रहे रैंकिंग टूर्नामेंट को रद्द करने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों से लिए गए प्रवेश शुल्क को वापस करने के निर्देश भी दिए हैं.
विवाद पर खेल मंत्रालय का स्टैंड?
भारतीय कुश्ती महासंघ और पहलवानों के बीच दंगल में खेल मंत्रालय को रेफरी के तौर पर एक्शन में देखा जा रहा है. पिछले 5 दिनों से लगातार खेल मंत्रालय पूरे मामले में एक्टिव है और कड़े फैसले लेने से नहीं हिचक रहा है. शनिवार शाम खेल मंत्रालय ने WFI के असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर को अनुशासहीनता के आरोप में सस्पेंड कर दिया. इसके साथ ही पहलवानों के आरोपों की जांच पूरी होने तक WFI की गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी. माना जा रहा है कि ये एक्शन आने वाले दिनों में WFI अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की मुश्किलें बढ़ने की तरफ संकेत दे रहे हैं. खेल मंत्री ने इस मामले पर एक निगरानी कमेटी का गठन करने का निर्णय लिया है. ये कमेटी 4 सप्ताह में अपनी जांच पूरी करेगी और WFI और उसके प्रमुख के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों की गहन जांच करेगी.
ओलंपिक संघ ने भी बनाई जांच कमेटी
पहलवानों के धरने प्रदर्शन के बाद खेल मंत्रालय के अफसरों ने उनसे मुलाकात की. खेल मंत्री ने डिनर पर बुलाया और बातचीत की. उनकी मांगें सुनने के बाद जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया. हालांकि, बात नहीं बनने पर पहलवान अगले दिन भी धरने पर डटे रहे. भारतीय ओलंपिक संघ ने शिकायतों को गंभीरता से लिया और सात सदस्यीय जांच कमेटी बनाने का फैसला लिया.
राज ठाकरे के अयोध्या दौरे का किया था विरोध
पिछले दिनों ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) चीफ राज ठाकरे अयोध्या आने वाले थे, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह विरोध में उतर पड़े. उन्होंने शर्त रखी कि अगर राज ठाकरे को अयोध्या आना है तो सबसे पहले उत्तर भारतीयों से माफी मांगनी होगी. राज ठाकरे के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने के कारण बृजभूषण शरण सिंह खूब चर्चा में रहे यानी एक बार फिर अयोध्या ने बृजभूषण शरण सिंह को खूब शोहरत दिलाई.