सीएम येदियुरप्पा के इस्तीफे की चर्चा राजनीतिक गलियारों में हलचल को तेज कर रही है. कयास लगने लगे हैं कि उत्तराखंड के बाद कर्नाटक में भी बीजेपी बड़ा फेरबदल करने जा रही है. अब इन कयासों के बीच येदियुरप्पा की तरफ से बड़ा बयान आया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वे अभी इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. उनके पास कोई आदेश नहीं आया है.
वे कहते हैं कि मुझे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा गया है. जब ऐसा कोई आदेश आएगा, मैं इस्तीफा दे दूंगा. मैं इस्तीफा देकर पार्टी के लिए काम करूंगा. सीएम की तरफ से दिल्ली मीटिंग का भी जिक्र किया गया है. उनके मुताबिक उस मुलाकात में इस्तीफे के लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
मैं इस्तीफा नहीं दे रहा हूं- येदियुरप्पा
उन्होंने कहा है कि मेरी तरफ से कोई नाम नहीं सुझाया गया है. हाईकमान ने मुझसे इस बारे में कोई बातचीत नहीं की है. मैं अब 25 जुलाई का इंतजार कर रहा हूं क्योंकि 26 को मेरे दो साल पूरे हो रहे हैं. जब पिछली बार दिल्ली गया था, तब इस बारे में नेतृत्व ने मुझसे कोई बातचीत नहीं की. अब देखते हैं कि 26 जुलाई को क्या होता है.
वैसे एक तरफ येदियुरप्पा के इस्तीफे पर चर्चा हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ सीएम भी जमीन पर अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं. उनकी तरफ से अपने पक्ष में लिंगायत समुदाय की गोलबंदी भी शुरू कर दी गई है. लिंगायत नेताओं की येदियुरप्पा से मुलाकात हो रही है. अब इसकी राजनीतिक गतिविधि की भनक जैसे ही बीजेपी हाईकमान को लगी, येदियुरप्पा को स्पष्ट संदेश दे दिया गया इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
बता दें कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर येदियुरप्पा हाल ही में दिल्ली आए थे और पार्टी के सीनियर नेताओं से मिले थे.आलाकमान से फटकार के बाद येदियुरप्पा के सुर तुरंत बदल गए. येदियुरप्पा ने कहा कि वो अपने तरफ से ऐसा कुछ नहीं कर रहे थे बल्कि लिंगायत समुदाय के संत अपनी ओर से ही ऐसा कर रहे थे.
लिंगायत के दम पर कर्नाटक में चलती है सरकारें
बता दें कि कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का अहम रोल रहा है. राज्य की आबादी में लिंगायत का हिस्सा 16 फीसदी है. लिंगायत 60 विधानसभा सीटों के नतीजों को बदल सकते हैं और 60 विधानसभा सीटों के परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.
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लिंगायत समुदाय के प्रमुख संतों ने येदियुरप्पा से की थी मुलाकात
जब येदियुरप्पा को 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले हटाने की चर्चा होने लगी तो कई लिंगायत नेताओं ने येदियुरप्पा से मुलाकात करनी शुरू कर दी इसे येदियुरप्पा के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा गया. येदियुरप्पा के इस कदम पर हाईकमान ने नाराजगी जताई तो सीएम ने कहा कि लिंगायत नेता खुद उनसे मिलने आ रहे थे.
अब अनुशासन की बात
येदियुरप्पा ने कहा कि मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे पार्टी के सिद्धांतों के अनुसार काम करें और किसी तरह के विरोध प्रदर्शन और अनुशासनहीनता में शामिल न हों, जिससे पार्टी के सामने मुश्किल स्थिति पैदा न हो.
75 पार के एक मात्र बीजेपी CM
येदिुरप्पा बीजेपी के एकमात्र ऐसे सीएम हैं जो 75 साल की आयु पार कर चुके हैं फिर भी अपने पद पर बरकरार है. 75 साल की उम्र बीजेपी में रिटायरमेंट की अघोषित उम्र है. फिर भी येदियुरप्पा अपने पद कायम है. क्योंकि बीजेपी को कर्नाटक में लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. 2011 में जब बीजेपी ने उनसे बतौर सीएम इस्तीफा दिलवाया था तो उन्होंने पार्टी छोड़कर कर्नाटक जनता पक्ष नाम की अपनी पार्टी बना ली थी.
2013 के चुनाव में हालांकि उनकी पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी लेकिन इस चुनाव में बीजेपी भी सत्ता से बाहर हो गई. 2018 के चुनाव में एक बार फिर येदियुरप्पा की अगुवाई में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और बाद में सत्ता तक पहुंची.