19 जनवरी 1990, ये वो तारीख है जिसने कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया, जब आतंकियों ने निहत्थे बेकसूर कश्मीरी पंडितों का बड़ी बेरहमी के साथ नरसंहार कर दिया. ये तारीख आज भी कश्मीरी पंड़ितों के जहन में अंकित हैं. अपनों की मौत का बोझ उठाकर घर-बार छोड़ने की मजबूरी, कितना दर्द देती हैं ये इनकी आंखों में साफ-साफ देखा जा सकता है. 32 वर्षों के बाद भी कश्मीरी पंडित आज भी अपनी घर वापसी का सपना संजोये बैठे हैं. 1990 में कश्मीरी पंडितों का जो पलायन हुआ उसकी भूमिका 1988 में बनने लगी थी ये वो दौर था जब कश्मीर पंडितों को घाटी छोड़ने की लगातार धमकियां मिल रही थी. देखें प्राइम टाइम की झलकियां.