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पंजाब: सुखपाल खैरा पर गिरी गाज, AAP ने पार्टी से बाहर निकाला

आप विधायक सुखपाल खैरा और कंवर संधू को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निलंबित कर दिया है.

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सुखपाल खैरा (तस्वीर- फेसबुक)
सुखपाल खैरा (तस्वीर- फेसबुक)

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आम आदमी पार्टी (आप) ने पार्टी के भुलथ विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुखपाल सिंह खैरा और खरड़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक कंवर संधू को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निलंबित कर दिया है.

आम आदमी पार्टी की तरफ से जारी बयान में दोनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की पुष्टि की गई. बयान में कहा गया कि बागी नेता सुखपाल खैरा और कंवर संधू के खिलाफ यह कार्रवाई उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण की गई है.

पंजाब आप की कोर कमेटी ने कहा कि खैरा और संधू ने पार्टी के केंद्रीय और राज्य के नेताओं के खिलाफ खूब बयानबाजी की है. इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की, इसके बावजूद उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियां बंद नहीं की. अंत में पार्टी ने उनकी अनुशासनहीनता के कारण निलंबित करने का फैसला किया.

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हाल ही में विपक्ष के नेता के पद से हटाए गए थे

पिछले दो-तीन सप्ताह से आप नेता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में निष्ठा रखने वाले समूह और खैरा गुट के समर्थकों के बीच एकता बनाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई. दरअसल, बागी नेता और विधायक सुखपाल सिंह खैरा के नेतृत्व में आप नेतृत्व का एक धड़ा पंजाब में राजनीतिक फैसले लेने के लिए राज्य इकाई को स्वायत्तता देने की मांग करता रहा है.

खैरा को पार्टी विरोधी बयानबाजी के कारण हाल ही में आप नेतृत्व द्वारा विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद से हटा दिया गया था. खैरा की जगह दलित नेता हरपाल सिंह चीमा को विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया था.

आप को चुनौती देकर खैरा ने किया था सम्मेलन

विपक्ष के नेता पद से हटाए जाने के बाद सुखपाल सिंह खैरा ने आप के केंद्रीय नेतृत्व को खुली चुनौती देते हुए बठिंडा में एक सम्मेलन आयोजित किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि यह सम्मेलन यह बताने के लिए आयोजित किया गया है कि पंजाब में आप नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास अपने विचार रखने और इन्हें व्यक्त करने का अधिकार है.

जानकारी के मुताबिक, खैरा के इस सम्मेलन में पंजाब विधानसभा में आप के 20 में से 9 विधायक शामिल हुए थे. इसी सम्मेलन में पार्टी की पंजाब इकाई के सांगठनिक ढांचे को तोड़ने का प्रस्ताव भी पारित किया गया. साथ ही यह घोषणा भी की गई कि उसके पास राज्य की भलाई के लिए खुद निर्णय लेने का अधिकार है. आप के केंद्रीय नेतृत्व ने इस कार्यक्रम को पार्टी विरोधी गतिविधि बताया था.

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