शनिवार सुबह से टीवी स्क्रीन पर दिल्ली चुनाव परिणामों पर सभी की नजरें टिकी थीं. आम आदमी पार्टी (AAP) को न केवल बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा.बल्कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज जैसे इसके शीर्ष नेता भी अपनी चुनावी जंग हार गए.
बीजेपी ने दिल्ली में 27 साल बाद शानदार वापसी की है जबकि आम आदमी पार्टी अपने गढ़ को खो चुकी है. AAP केवल पंजाब की सत्ता में बनी हुई है जहां उसके लिए अगला बड़ा इम्तिहान होगा. यहां 2027 में चुनाव होने हैं.
पंजाब में महसूस होंगे झटके
AAP ने 2013 में दिल्ली में अपनी सियासी सफर शुरू किया था और पहली बार वहां सरकार बनाई थी. पार्टी ने 2022 में पंजाब विधानसभा चुनावों में 92 सीटों पर जीत हासिल कर पंजाब में अपनी सरकार बनाई.दिल्ली चुनाव परिणामों ने आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका दिया है, और इसके झटके पंजाब में भी महसूस होने की संभावना है.
पंजाब चुनाव में अभी दो साल बाकी हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी को न केवल अपने सभी चुनाव-पूर्व वादों को पूरा करने और विकास पर ध्यान केंद्रित करने में बल्कि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर विपक्ष का मुकाबला करने में भी अधिक सतर्क रहना होगा, बल्कि अधिक आक्रामक भी होना होगा.
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लोकसभा चुनाव में हुआ था नुकसान
आम आदमी पार्टी ने 2022 में पंजाब में बड़ी जीत के साथ सत्ता में कदम रखा था, लेकिन अब दिल्ली में हार के बाद उसे यहां नुकसान से बचने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होगी. 2024 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को पंजाब में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा, जहां उसने 13 में से सिर्फ 3 सीटें जीतीं. हाल ही में पंजाब में पार्टी ने संगठनात्मक बदलाव किए हैं और मंत्रिमंडल मंत्री अमन अरोड़ा को राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है
हाल के नगर निगम चुनावों में, हालांकि आम आदमी पार्टी ने अधिकांश निगमों में अपने मेयर बनाए, लेकिन कांग्रेस ने कई क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया. आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब में एक और बड़ा चुनौती होगा कि दिल्ली की हार के बाद अपने दल को एकजुट रखना, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप बाजवा का कहना है कि 30 आम आदमी पार्टी के विधायक उनसे संपर्क में हैं.
हालांकि, राहत की बात यह है कि आम आदमी पार्टी के पास फिर से गठबंधन और रणनीति बनाने के लिए पर्याप्त समय है.
पंजाब पर असर
दिल्ली चुनावों में भारी नुकसान के बाद, इसका असर पंजाब में भी दिखाई देने की संभावना है. सबसे पहले, जैसा कि पंजाब सरकार पर हमेशा दिल्ली से चलने का आरोप था, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अब चीजें कैसे काम करेंगी. वो भी ऐसे समय में, जब अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं है और पार्टी सुप्रीमो केजरीवाल भी हार गए हैं.
यह देखना दिलचस्प होगा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अब किस तरह से ड्राइविंग सीट पर आते हैं, क्योंकि अब वह पार्टी के एकमात्र सीएम हैं और दिल्ली से आदेश मानने की धारणा को कैसे बदलते हैं, जैसा कि विपक्ष आरोप लगाता है.
इतना ही नहीं, जिस तरह दिल्ली में आप को चुनावी वादों को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, उसी तरह पंजाब में भी आप को कमर कसनी होगी और पंजाब में महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह देने के अपने प्रमुख चुनाव-पूर्व वादे को पूरा करना होगा. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने 600 यूनिट मुफ्त बिजली, नौकरियों जैसे वादे किए हैं, लेकिन महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपये देने का वादा एक प्रमुख वादा है जिसे लेकर बहुत चर्चा हो रही है.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इंडिया टुडे से बात करते हुए गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विशेषज्ञ प्रो. कुलदीप सिंह ने कहा, "एक बात तो तय है कि पंजाब में आप को अब बहुत सावधान रहना होगा. दिल्ली पार्टी का आधार था और आधार खत्म होने और पार्टी सुप्रीमो के हारने से पार्टी को बहुत बड़ा झटका लगा है." उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप को चुनाव-पूर्व वादे पूरे न करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और पंजाब में आप को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह पंजाब से किए गए वादों को पूरा करे.
राजनीतिक विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि AAP अब तक एक और सरकार की तरह ही उभरी है, न कि एक अलग पार्टी की तरह. उन्होंने कहा कि पंजाब में AAP को दिल्ली की हार से सबक लेना होगा. उन्होंने कहा कि आप भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली है और इसके कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. विपक्ष ने हमले तेज किए दिल्ली की लड़ाई हारने के बाद पंजाब में विपक्ष ने आप पर तीखे हमले किए.
कांग्रेस-बीजेपी और अकाली दल हुए हमलावर
कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा, "आप झूठ की राजनीति करती है और यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलती. पंजाब में भी आप इसी मॉडल पर काम कर रही है और यहां भी यही देखने को मिलेगा." पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता सुखबीर बादल ने कहा, "मैं दिल्ली की जनता का आप को उखाड़ फेंकने के लिए शुक्रगुजार हूं और मैं कहूंगा कि पंजाब के लोगों को भी यही करना चाहिए."
पंजाब में भाजपा नेताओं ने आज जीत का जश्न मनाया, वहीं राज्य इकाई के वरिष्ठ नेता सुभाष शर्मा ने कहा, "हम दिल्ली में भाजपा की बड़ी जीत से खुश हैं, लेकिन हमें इस बात की भी खुशी है कि जल्द ही हम पंजाब में भी आप से छुटकारा पा लेंगे."