कृषि कानून के खिलाफ हरियाणा-पंजाब से शुरू हुए किसानों के आंदोलन ने अब दिल्ली बॉर्डर पर डेरा जमा दिया है. किसान आंदोलन की तपिश ने दिल्ली का सियासी पारा गर्म कर दिया है. सितंबर में इस कानून के विरोध में अकाली दल ने केंद्र सरकार में मंत्री पद छोड़कर, एनडीए से अलग होने तक का ऐलान कर दिया था. हालांकि अब इस आंदोलन को लेकर कांग्रेस जिस तरह से हमलावर है, उससे इसके राजनीतिक लाभ उठाने के मामले में पार्टी को अकाली दल पर बढ़त मिलती दिख रही है.
पंजाब और हरियाणा के किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और एमएसपी की गारंटी की मांग उठा रहे हैं. ये तीनों कृषि कानून पूरे देश में लागू हैं, लेकिन सबसे ज्यादा आंदोलन की हवा पंजाब और हरियाणा में है. इस आंदोलन का पंजाब की कांग्रेस सरकार और हरियाणा के कांग्रेस नेता खुला समर्थन कर रहे हैं. यहां तक कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ट्विटर पर सीधे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भिड़ गए.
अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर हमला बोला और यहां तक कहा कि वो अब खट्टर से कोई बात नहीं करेंगे. हरियाणा के कांग्रेस नेता भी इस आंदोलन को हवा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला तक खुलकर किसान आंदोलन के समर्थन में बयान दे रहे हैं और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से लेकर हरियाणा की खट्टर सरकार तक पर हमला बोल रहे हैं. बीजेपी नेताओं ने भी आरोप लगाया है कि किसानों को कांग्रेस ही गुमराह कर रही है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट कर कहा था कि पंजाब में दो महीने से शांतिपूर्ण तरीके से किसानों का प्रदर्शन चल रहा था. हरियाणा की सरकार आखिर पुलिस बल का प्रयोग करके इन किसानों को क्यों भड़का रही है? क्या किसानों के पास एक पब्लिक हाइवे से शांतिपूर्ण तरीके से कहीं जाने का अधिकार भी नहीं है? पंजाब के किसानों से मुलाकात के लिए पानीपत पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने कहा था, 'यह राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि रोजी-रोटी और खेती की लड़ाई है. कांग्रेस और सभी विपक्षी दल किसानों के साथ खड़े हैं. इसके लिए हमें जो भी कुर्बानी देनी पड़ेगी, वो हम देंगे.'
हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा के किसान आंदोलन कर रहे हैं और बार-बार सरकार से इन कानूनों को वापस लेने व एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि क्या वे इन आंदोलनकारी किसानों को हरियाणा का किसान नहीं मानते? पिपली में सरकार ने क्यों लाठीचार्ज करवाया था? हुड्डा ने कहा कि इतने बड़े आंदोलन के प्रति मुख्यमंत्री की ऐसी अनदेखी हैरान कर देने वाली है. इस आंदोलन में हरियाणा और पंजाब के किसान कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ खड़े हुए हैं.
अकाली दल ने छोड़ा था मंत्री पद
बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार सिंतबर 2020 में कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई तो अकाली दल ने विरोध करते हुए एनडीए से नाता तोड़ लिया था. अकाली कोटे से मोदी कैबिनेट में एकलौती मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने भी इस्तीफा दे दिया था. अकाली दल ने केंद्रीय मंत्री पद त्यागकर और एनडीए से अलग होकर पंजाब के किसानों के लिए बड़ी लकीर खींचने की कोशिश की.
अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को पार्टी द्वारा किसानों के लिए एक बड़े बलिदान के रूप में पेश किया था. हरियाणा में किसानों पर लाठीचार्ज हुआ तो अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने सीधे पीएम नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया और कहा था कि उनके निर्देश पर ही हरियाणा की खट्टर सरकार किसानों के विरुद्ध बल प्रयोग कर रही है. किसान आंदोलन के लिए जो हो सकेगा, वो वे करेंगे.
पंजाब और हरियाणा के किसान सड़क पर
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कृषि से जुड़े अध्यादेशों के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर खुद को किसानों का हमदर्द बताने की कवायद पहले ही कर चुकी है. अब वह किसान आंदोलन के समर्थन में खुलकर खड़ी है. इससे अकाली दल के सामने चुनौती है कि कैसे वो इस लड़ाई में खुद की कांग्रेस से बड़ी भागीदारी साबित कर सके. ठीक वैसे ही जैसे करतारपुर कॉरिडोर खोलने का क्रेडिट लेने के मामले में वो कांग्रेस के तत्कालीन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बराबर खड़ी हो गई थी.
पंजाब विधानसभा चुनाव में महज डेढ़ साल का ही समय बचा है. वहीं हरियाणा में जिस तरह से कांग्रेस ने मोर्चा खोल रखा है, उसके चलते राज्य में बीजेपी सरकार की सहयोगी जेजेपी के अध्यक्ष हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर काफी दबाव बढ़ गया है. किसान वोटों पर टिकी दुष्यंत चौटाला की राजनीति के सामने ये मुश्किल सवाल है. यही वजह है कि जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला ने केंद्र सरकार से किसानों से बात कर उनके भ्रम और शंकाएं दूर करने का आग्रह किया है. दिग्विजय ने कहा था कि ठंड और कोरोना के चलते मुलाकात में देरी न हो और जल्द से जल्द इस दिशा में कदम उठाए जाएं. इतने दिन किसानों को न रोक कर रखा जाए. किसानों की शंकाएं और भ्रम को मंत्री स्तर की वार्ता से दूर किया जाए.