शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को हटाने के अपने फैसले को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है. इसके बाद बादल बना मजीठिया गुट देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को अंतरिम कमेटी की बैठक के दौरान उठाए गए इस कदम को शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के विधायक मनप्रीत अयाली और अन्य पंथिक नेताओं ने एक गलती बताया और कहा कि इससे पार्टी और उसके सहयोगी कमजोर हुए हैं.
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने छह अन्य लोगों के साथ मिलकर इस फैसले का विरोध किया और कहा कि इससे सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं और संगत की इच्छा की अनदेखी की गई है. एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के भीतर आंतरिक संघर्षों ने पंथिक एकता को नुकसान पहुंचाया है और विरोधी ताकतों को मजबूत किया है. उन्होंने अकाल तख्त की गरिमा की रक्षा के लिए एकता का आह्वान किया और नेताओं से मतभेदों को दूर करने का आग्रह किया.
'हमारे दिलों को गहरी ठेस पहुंची है'
बयान में कहा गया है कि श्री अकाल तख्त साहिब और उसके जत्थेदार के मान-सम्मान के प्रति हमारे मन में अपार सम्मान है और हम अपनी अंतिम सांस तक इस सम्मान को कायम रखेंगे. तख्त साहिब का मान-सम्मान किसी व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं है और जो भी जत्थेदार साहिब का पद संभालता है, उसका हम सभी को नैतिक कर्तव्य मानकर सम्मान करना चाहिए, जिसे हम हमेशा निभाएंगे. हाल ही में हुई घटनाओं के मद्देनजर अंतरिम कमेटी द्वारा कल लिए गए फैसले से सिख संगत की भावनाओं और हमारे दिलों को गहरी ठेस पहुंची है.
आगे कहा कि गुरु साहिब ने संगत को गुरु का दर्जा दिया है और संगत की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं. लंबे समय से चल रही घटनाओं ने हमारे दिलों को बहुत दुखी और परेशान किया है, चाहे वह पंथिक भावनाओं से जुड़ा मामला हो या पंथिक एकता की दिशा में उठाए जाने वाले जरूरी कदमों की अनदेखी हो. ये हालात रातों-रात नहीं बने हैं, ये हमारी सामूहिक जिम्मेदारी का नतीजा हैं.
ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाए जाने के बाद फैसला
बता दें कि एसजीपीसी का यह फैसला फरवरी में तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार के पद से ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाए जाने के बाद आया है. ज्ञानी रघबीर सिंह को भी तख्त परिसर तक ही सीमित रखा गया था, जबकि एसजीपीसी ने अपना अधिकार जताया था. एसजीपीसी सदस्य जसवंत सिंह पुरैन के अनुसार इसके बावजूद रघबीर सिंह और सुल्तान सिंह स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी और ग्रंथी के पद पर बने रहेंगे. इस बीच ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज को तख्त केसगढ़ साहिब का जत्थेदार और अकाल तख्त का कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया गया है, जबकि संत बाबा टेक सिंह तख्त दमदमा साहिब का नेतृत्व करेंगे.
शिरोमणि अकाली दल के कार्यवाहक अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदर ने एसजीपीसी के फैसले पर सवाल उठाने के लिए मजीठिया की आलोचना की. उन्होंने मजीठिया पर मुश्किल समय में पार्टी का साथ देने के बजाय शिरोमणि अकाली दल और सुखबीर बादल को कमजोर करने का आरोप लगाया. भूंदर ने कहा कि मजीठिया को आंतरिक संघर्षों में योगदान देने के बजाय प्रकाश सिंह बादल की विरासत को कायम रखना चाहिए. उन्होंने नेताओं से बाहरी खतरों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और मजीठिया की पार्टी अनुशासन तोड़ने के लिए निंदा की, साथ ही उनके विचार व्यक्त करने के अधिकार को स्वीकार किया.
बीजेपी ने भी साधा निशाना
भाजपा नेता आरपी सिंह ने स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा, "अकाल तख्त और एसजीपीसी के बीच सत्ता संघर्ष तब और बढ़ गया जब एसजीपीसी ने तख्त की सर्वोच्चता का दावा करने वाले जत्थेदारों को हटा दिया, जिससे सिख संस्थाओं के भीतर तनाव गहरा गया. यह कदम शिरोमणि अकाली दल (बादल) को और कमजोर कर सकता है, इसकी विश्वसनीयता को खत्म कर सकता है और सिख समुदाय को अलग-थलग कर सकता है. स्वतंत्र प्राधिकरण के लिए अकाल तख्त का दबाव भविष्य के संघर्षों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है, जिससे सिख धार्मिक और राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव आ सकता है. राजनीतिक रूप से, यह पंजाब के सिख नेतृत्व को बदल सकता है और धर्म और राजनीति के बीच एक सेतु के रूप में एसजीपीसी के प्रभाव को कम कर सकता है, विशेष रूप से अकाली दल को प्रभावित कर सकता है."
गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल का जत्थेदारों के साथ पहले भी टकराव रहा है. ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जिन्हें एसजीपीसी ने कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया था, अक्टूबर 2018 से जून 2023 तक कार्यरत रहे. शिरोमणि अकाली दल की आलोचना के बाद उन्हें हटा दिया गया. उसके बाद ज्ञानी रघबीर सिंह को नियुक्त किया गया, लेकिन शिरोमणि अकाली दल और एसजीपीसी पर सवाल उठाने के कारण उन्हें दो साल से भी कम समय में हटा दिया गया. एसजीपीसी ने अब ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज को श्री अकाल तख्त का नया कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया है.