सिख धर्म की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त के प्रमुख ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने खालिस्तान की मांग कर पंजाब में एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है. ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के मौके पर ज्ञानी हरप्रीत सिंह के उस बयान को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दुर्भाग्पूर्ण बताया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि खालिस्तान हर सिख का सपना है. अकाल तख्त प्रमुख के इस बयान से पंजाब में भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं.
भाजपा नेताओं ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि वे खालिस्तान की मांग करके पंजाब को फिर से उग्रवाद के गर्त में धकेलना चाहते हैं. भाजपा नेताओं नेताओं ने इसे अलगाववाद को बढ़ावा देने वाला बताते हुए कहा कि पहले ही पाकिस्तान और विदेशों में बैठे खालिस्तान समर्थक प्रदेश के युवाओं को बरगलाने की कोशिश में जुटे हैं.
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भाजपा के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह को ऐसे विवादित बयान से बचना चाहिए था. सिख धर्म और स्वर्ण मंदिर न केवल सिख, बल्कि हिंदुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है. उनके बयान से शांतिप्रिय हिंदुओं और सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. दूसरी तरफ, अकाली दल ने अकाल तख्त प्रमुख के बयान का बचाव किया है. इससे एनडीए का नेतृत्व कर रही भाजपा और उसके घटक शिरोमणि अकाली दल के बीच दूरी बढ़ती दिख रही है.
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शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉक्टर दलजीत चीमा ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह का बचाव करते हुए उनके बयान को 1984 के दंगों से उत्पन्न पीड़ा से जोड़ा. हालांकि, पंजाब की कैप्टन सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की ओर से अकाल तख्त प्रमुख के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन इसे सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है.
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दरअसल पाकिस्तान, अमेरिका और कई दूसरे देशों में छिपकर बैठे खालिस्तानी आतंकी पंजाब में आतंकवाद के जिन्न को फिर से जिंदा करने की कोशिश में जुटे हैं. खालिस्तानी आतंकी गुरु पटवंत सिंह पन्नू पहले ही इंटरनेट पर रेफरेंडम 2020 चला रहा है. पाकिस्तान के बाद हाल ही में गुरपटवंत सिंह पन्नू ने चीन के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर समर्थन मांगा है. ऐसे में अकाल तख्त प्रमुख का बयान ऐसी ताकतों को और बढ़ावा दे सकता है.
आरएसएस को भी बताया था देश विरोधी संगठन
गौरतलब है कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इससे पहले भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को लेकर विवादित बयान दिया था. तब उन्होंने आरएसएस को देश विरोधी संगठन बताया था. वे और अन्य कट्टरपंथी नेता शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व पर भाजपा का साथ छोड़ने का दबाव बनाते रहे हैं. इन नेताओं का मानना है कि अकाली दल को सिर्फ सिख धर्म को केंद्रित कर राजनीति करनी चाहिए.