नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध-प्रदर्शन के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को अकाली प्रमुख सुखबीर बादल को जर्मनी के पूर्व तानाशाह एडॉल्फ हिटलर की आत्मकथा 'मीन कैम्फ' की एक प्रति भेजी. कैप्टन ने सुखबीर से हिटलर की आत्मकथा को पढ़ने के लिए सलाह दी ताकि वे इसके खतरनाक प्रभावों को समझ सकें. कैप्टन ने CAA को केंद्र सरकार द्वारा पारित असंवैधानिक कानून बताया और कहा कि अकाली भी केंद्र सरकार में एक हिस्सा है.
कैप्टन ने कहा कि केंद्र द्वारा हिटलर के एजेंडे को दोहराने के मौजूदा प्रयासों को देखते हुए शिरोमणि अकाली दल के नेताओं को इसे पढ़ना चाहिए. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर तर्कहीन प्रतिक्रियाओं के साथ आने से अकाली दल के प्रधान को पहले पूर्व जर्मन शासक की आत्मकथा पढ़नी चाहिए. कैप्टन ने कहा कि सुखबीर बादल सहित विभिन्न अकाली नेताओं के हालिया बयानों ने इस संवेदनशील मुद्दे पर उनकी अज्ञानता को स्पष्ट रूप से उजागर किया है.
प्रदर्शनकारियों के बीच भीम आर्मी चीफ, बोले- जलियांवाला के बाद अब शाहीन बाग सुनाShocking that the @Akali_Dal_ is supporting #CAA merely for saving a Union Cabinet berth with NDA. I have sent their President a book - 'Mein Kampf' to read and learn from history & decide whether the country should come first or political expediency.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) January 22, 2020
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि एक तो संसद के दोनों सदनों में ही अकाली दल की ओर से CAA का समर्थन कर दिया गया है और अब सदन से बाहर इस बात की पैरवी की जा रही है कि मुस्लिमों को भी इस कानून में शामिल किया जाना चाहिए था. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुखबीर बादल के उस बयान का जवाब दिया है, जिसमें सुखबीर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को सिख विरोधी बताते हुए कहा था कि CAA में सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का प्रावधान है और CAA का विरोध करके कैप्टन अपनी और कांग्रेस की एंटी सिख छवि को सामने ला रहे हैं और गांधी परिवार के इशारे पर वो नहीं चाहते कि सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सके.
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कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसके जवाब में कहा कि क्या पूरे देश में जो प्रदर्शन हो रहे हैं वो सब प्रदर्शनकारी क्या गांधी परिवार के अधीन है और क्या गांधी परिवार के इशारे पर ही प्रदर्शन कर रहे हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि ये कानून असंवैधानिक है और इसी वजह से देश की यूनिवर्सिटियों से लेकर सड़क तक इस कानून का विरोध हो रहा है.