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गिरफ्तारी, बवाल और रिहाई पर सहमति... अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत तूफान के केस की पूरी डिटेल

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर चमकौर साहिब निवासी वरिंदर सिंह को अगवा करने और मारपीट करने का आरोप लगा था. पुलिस ने अमृतपाल सिंह और समर्थकों पर केस दर्ज किया था. इस मामले में पुलिस ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी.

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अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने अमृतसर में जमकर बवाल किया. (फोटो- पीटीआई)
अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने अमृतसर में जमकर बवाल किया. (फोटो- पीटीआई)

पंजाब के अमृतसर में शुक्रवार को जमकर बवाल हुआ. वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया. समर्थकों के हाथ में तलवार, बंदूक और लाठी डंडे थे. इन हथियारबंद उपद्रवियों के सामने पुलिस भी नाकाम दिखी. देखते ही देखते अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने पुलिस स्टेशन को कब्जे में ले लिया. अमृतपाल सिंह अपने करीबी लवप्रीत तूफान की रिहाई की मांग कर रहा था. लवप्रीत को पुलिस ने अगवा और मारपीट के आरोप में हिरासत में लिया था. आईए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है ?

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दरअसल, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर चमकौर साहिब निवासी वरिंदर सिंह को अगवा करने और मारपीट करने का आरोप लगा था. बरिंदर सिंह ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया था कि अमृतपाल सिंह के साथियों ने उसे अजनाला से अगवा कर लिया था और एक अज्ञात स्थान पर ले गए जहां उसकी बेरहमी से पिटाई की गई. शिकायत पर पुलिस ने अमृतपाल सिंह और समर्थकों पर केस दर्ज किया था. इस मामले में पुलिस ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान को  हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. 

8 घंटे चला बवाल

लवप्रीत तूफान पर कार्रवाई के खिलाफ अमृतपाल सिंह और उसके समर्थक सड़कों पर उतर आए और थाने का घेराव कर लिया. अमृतपाल सिंह ने अपने समर्थकों से बड़ी संख्या में अजनाला पहुंचने की अपील की. अमृतपाल के समर्थक अपने साथ एक वाहन भी लेकर पहुंचे थे. इसमें एक गुरु ग्रंथ साहिब भी थी.  पुलिस की अपील के बावजूद समर्थकों ने बैरीकेड्स तोड़ दिए. समर्थकों ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर तलवार और बंदूक लेकर हमला कर दिया. इस दौरान पुलिस के साथ झड़प भी हुई, इसमें एक डीएसपी समेत छह पुलिसकर्मी घायल हो गए. इसके बाद अमृतपाल सिंह के समर्थकों में परिसर में धरना शुरू कर दिया था. सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुआ यह बवाल शाम छह बजे तक चला.

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लवप्रीत की रिहाई को तैयार हुई पुलिस

शाम 5:30 बजे अमृतपाल सिंह और अजनाला पुलिस के बीच बैठक हुई. पुलिस अमृतपाल सिंह द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर लवप्रीत तूफान को रिहा करने के लिए सहमत हो गई. इसके बाद शाम 6 बजे पुलिस के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारी थाने से चले गए और पास के गुरुद्वारे में प्रवेश कर गए. प्रदर्शनकारियों ने फैसला किया है कि वे लवप्रीत तूफान के रिहा होने तक गुरुद्वारे में रहेंगे.

इंदिरा गांधी के बयान का किया जिक्र

इस दौरान 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने कहा कि हम खालिस्तान के मामले को बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं. जब लोग हिंदू राष्ट्र की मांग कर सकते हैं तो हम खालिस्तान की मांग क्यों नहीं कर सकते.अमृतपाल ने कहा कि दिवंगत पीएम इंदिरा गांधी को खालिस्तान का विरोध करने की कीमत चुकानी पड़ी थी. हमें कोई नहीं रोक सकता, चाहे वह पीएम मोदी हों, अमित शाह हों या भगवंत मान. मुझ पर और मेरे समर्थकों पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. इससे पहले अमृतपाल सिंह ने अमित शाह को भी धमकी दी थी. उधर, अमृतसर पुलिस अभी तक यह साफ नहीं किया कि गुरुवार को हुई हिंसा को लेकर अमृतपाल सिंह या उनके समर्थकों के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया गया है या नहीं. 

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कौन है अमृतपाल सिंह?

अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख है. इसे अभिनेता दीप सिद्धू ने बनाया था. दीप सिद्धू की पिछले साल फरवरी में सड़क हादसे में मौत हो गई थी. दीप सिद्धू लाल किला हिंसा का आरोपी भी था. दीप सिद्धू की मौत के बाद दुबई से लौटे अमृतपाल सिंह ने संगठन की कमान संभाली. दीप सिद्धू की मौत के बाद 'वारिस पंजाब दे' वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया. 

2012 में दुबई चला गया था अमृतपाल 

अमृतपाल 2012 में दुबई चला गया था. वहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. उसके ज्यादातर रिश्तेदार दुबई में रहते हैं. अमृतपाल ने शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्कूल में पूरी की. उसने 12वीं तक पढ़ाई की है. अमृतपाल अपने हथियारबंद समर्थकों के साथ पंजाब में काफी सक्रिय देखा जा रहा है. अमृतपाल की तुलना भिंडरावाले से भी की जाती है. अमृतपाल पिछले साल तब सुर्खियों में आया था, जब समर्थकों ने जालंधर में मॉडल टाउन गुरुद्वारे की कुर्सियां ​​जला दी थीं. उन्होंने कहा था कि वो गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं के लिए कुर्सी और सोफा रखने का विरोध करते हैं, क्योंकि यह सिख धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है.

 

 

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