अमृतसर के जोड़ा फाटक में आज मंगलवार को दशहरा नहीं मनाया जाएगा. यहां पर रावण दहन का भी आयोजन नहीं किया जाएगा. पिछले साल दशहरे के दिन रावण दहन के दौरान ट्रैक पर खड़े लोगों को ट्रेन ने रौंद दिया था. इस हादसे में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
हादसे को एक साल गुजर जाने के बाद भी हादसे के शिकार लोगों के परिवार का दर्द कम नहीं हुआ है. सोमवार रात को लोगों ने परिवार के दर्द को बांटा. शहर में कैंडल मार्च निकाला गया. मृतकों के परिवार वालों के साथ सैकड़ों लोग इस मार्च में शामिल हुए. परिवार का आरोप है आज भी रेल हादसे के गुनहगार आजाद हैं. परिवार पूछ रहा है आखिर दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती.
पीछे खिसकते चले गए लोग
अमृतसर के जोड़ा फाटक इलाके में रेलवे ट्रैक के नजदीक रावण का पुतला जलाया जा रहा था. जैसे ही पुतले में पटाखे का विस्फोट होना शुरू हुआ और आग की लपटें तेज हुईं, लोग पीछे खिसकते हुए रेल पटरी पर चले गए. कुछ लोग रावण दहन देखने के लिए पहले से ही रेल पटरी पर खड़े थे.
उसी दौरान जालंधर से अमृतसर जा रही ट्रेन तेज रफ्तार से आई और बड़ी तादाद में लोगों को अपनी चपेट में लेते हुए गुजर गई. ट्रेन को वहां से गुजरने में महज 10 से 15 सेकेंड लगे, ट्रेन के गुजरते ही क्षत-विक्षत शव दूर-दूर तक बिखर गए और घायलों की चीख-पुकार मच गई.
रेल रिपोर्टः लापरवाही से गई जान
पिछले साल अमृतसर में विजयदशमी के दिन हुए रेल हादसे में रेल सुरक्षा के मुख्य आयुक्त (सीसीआरएस) द्वारा की जा रही जांच में 22 नवंबर को इस त्रासदी के लिए रेलवे ट्रैक के समीप खड़े लोगों की 'लापरवाही' और 'अनाधिकार प्रवेश' को जिम्मेदार ठहराया गया था. इस हादसे में 60 लोगों की मौत हुई थी . आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अपनी रिपोर्ट में सीसीआरएस एसके पाठक ने लोगों की लापरवाही को घटना का कारण बताया, जिन्होंने रेलवे ट्रैक पर अनाधिकार प्रवेश किया था.
सीसीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमृतसर के जोड़ा फाटक के समीप जहां रावण का पुतला जलाया जा रहा था, वहां करीब 50 पुलिसकर्मी तैनात थे. कुछ पुलिसकर्मियों ने भीड़ को ट्रैक से दूर हटाने का प्रयास किया, लेकिन भीड़ उनकी बात नहीं सुन रही थी.
धुएं और तीव्र मोड़ के कारण ट्रेन का पता नहीं चला
सीसीआरएस की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि मार्ग पर तीव्र मोड़ होने के कारण दुर्घटनास्थल पर भीड़ को ट्रेन 250 मीटर तक दिखाई नहीं दी थी. घटना करीब सात बजे की है और इस दौरान रावण का पुतला और पटाखे जलाए जाने के कारण वातावरण में धुआं फैला हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया कि धुएं के कारण दृश्यता कम हो गई अन्यथा सीधे ट्रैक पर हेडलाइट चालू होने से दृश्यता 200 मीटर होती है.
सीसीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी चिन्हित किया कि इस ट्रैक पर अधिकतम गति 100 किलीमटर प्रति घंटा है और हादसे के वक्त ट्रेन की गति 82 किलोमीटर प्रति घंटा थी. ट्रेन के लोको पायलट ने जब भीड़ को देखा तो आपातकालीन ब्रेक भी लगाए थे.
इस हादसे पर लोगों में खासा गुस्सा रहा और लोगों ने पंजाब सरकार और रेलवे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
सिद्धू का ऐलान
हादसे के बाद नवजोत सिद्धू ने ऐलान किया था कि जो बच्चे अनाथ हो गए हैं उनकी जिम्मेदारी वह उठाएंगे. सिद्धू ने ताउम्र उन परिवारों का खर्च उठाने की बात की है जिन परिवारों में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा. उन्होंने कहा कि उन्होंने जिंदगी में एक वादा किया था कि गुरु की धरती अमृतसर से ही चुनाव लड़ेंगे और आज दूसरा वादा कर रहे हैं कि अब अनाथ हुए परिवारों का पालन वो करेंगे.