अमृतसर में हुए रेल हादसे के लिए गुरुवार को रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने दशहरा समारोह देखने के मकसद से रेलवे पटरियों पर खड़े लोगों की लापरवाही को जिम्मेदार बताया है. इस हादसे में 60 लोग ट्रेन की चपेट में आने से मारे गए थे. मामले की अस्थायी जांच रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है.
मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त एस के पाठक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘तथ्यों और साक्ष्यों पर सावधानी पूर्वक गौर करने के बाद मैं इस अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि 19 अक्टूबर को शाम छह बजकर 55 मिनट पर फिरोजपुर मंडल के अमृतसर के निकट जौड़ा फाटक पर हुआ ट्रेन हादसा उन लोगों की लापरवाही का नतीजा है जो दशहरा का मेला देखने के लिए पटरी पर खड़े थे. रिपोर्ट में उन्होंने दुर्घटना को "रेलवे लाइन के पास जनता की ओर से काम करने में त्रुटि" के रूप में रखा गया है और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए कई सिफारिशें की हैं.
अमृतसर ट्रेन हादसा बेहद दर्दनाक था. एक ट्रेन 100 की रफ्तार से दनदनाती हुई आई और रावण दहन देख रहे 60 लोगों को 10 से 12 सेकेंड के अंदर काटती हुई चली गई. इस घटना में प्रशासनिक लापरवाही के अलावा रेल प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इतनी बड़ी भीड़ देखने के बावजूद लोको पॉयलट ने ट्रेन की रफ्तार कम क्यों नहीं की? सवालों के बीच रेलवे ने ड्राइवर को क्लीन चिट दे दी गई. फिरोजपुर के डीआरएम विवेक कुमार ने साफ-साफ कहा कि लोको पॉयलट को ऐसे हालत में जो कदम उठाने चाहिए थे उसने उठाए. डीआरएम ने कहा कि जहां दुर्घटना हुई है वहां मोड़ है लेकिन ट्रेन के इंजन की लाइट सीधी जा रही थी. आगे उन्होंने कहा कि जैसे ही ट्रेन ड्राइवर ने लोगों को देखा उसने स्पीड कम कर दी.