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अमृतसर रेल हादसाः पुलिस कमिश्नर बोले- ट्रैक पर जाने की नहीं दी थी इजाजत

रेल हादसे पर अमृतसर के पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तव ने कहा कि हमने धोबी घाट इलाके पर दशहरा कार्यक्रम आयोजित करने की सशर्त अनुमति दी थी, लेकिन रेलवे ट्रैक या अन्य जगह की इजाजत नहीं दी थी.

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अमृतसर के पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तव (फोटो-ANI)
अमृतसर के पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तव (फोटो-ANI)

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पंजाब के अमृतसर में हुए भीषण रेल हादसे से रेलवे और स्थानीय प्रशासन लगातार पल्ला झाड़ रहे हैं. अब पुलिस कह रही है कि उसने दशहरा कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत जरूर दी थी, लेकिन सिर्फ उस जगह के लिए जहां पर कार्यक्रम आयोजित हो रहा था, न कि रेलवे ट्रैक या अन्य जगह के लिए.

अमृतसर के पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तव ने कहा, 'हमने धोबी घाट इलाका समेत 20 स्थलों पर दशहरा आयोजित करने की सशर्त अनुमति दी थी. ऐसी इजाजत देने की एक निश्चित प्रक्रिया है.'

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि पुलिस ने एक निश्चित इलाके के लिए परमिशन दी थी. रेलवे ट्रैक या अन्य जगह पर कार्यक्रम आयोजित करने और लोगों के जाने की इजाजत नहीं है. हालांकि श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि मामले में किसी तरह के चूक की जांच चल रही है. वैसे हमने कार्यक्रम स्थल समेत पूरे शहर को सुरक्षा दी थी.

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इससे पहले स्थानीय प्रशासन ने कहा था कि दशहरा कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत नहीं ली गई थी, जबकि रेलवे प्रशासन का कहना था कि उसको इस दशहरा कार्यक्रम आयोजित करने की कोई जानकारी नहीं दी गई थी.

रेल हादसे के बाद अमृतसर नगर निगम आयुक्त सोनाली गिरी ने कहा था कि नगर निगम से दशहरा आयोजित करने की परमिशन नहीं मांगी गई थी. हालांकि इसके बाद सामने आए दो लेटर ने उनके दावे पर सवालिया निशान लगा दिया.

एक लेटर दशहरा कमेटी द्वारा पुलिस को लिखा गया था और दूसरा पुलिस द्वारा दशहरा कमेटी को लिखा गया था. पहले लेटर में दशहरा कमेटी ने कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत मांगी थी, जबकि दूसरे लेटर में पुलिस ने इसकी इजाजत दी थी. हालांकि घटनास्थल पर पुलिस तैनात नजर नहीं आई थी.

दूसरे लेटर में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर दलजीत सिंह ने दशहरा कमेटी को दिए जवाब में कहा था कि पुलिस को दशहरा कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर कोई आपत्ति नहीं है.

रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने भी झाड़ा था पल्ला

अमृतसर रेल हादसे के बाद रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने घटनास्थल का दौरा किया था और रेलवे की किसी भी तरह की गलती होने की बात को इनकार कर दिया था. उन्होंने मामले की जांच कराने से भी इनकार कर दिया था. एक सवाल पर सिन्हा का कहना था कि किस बात की इनक्वायरी हम कराएं...?

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उन्होंने यह भी कहा था कि घटना के वक्त शाम हो चुकी थी और वहां कि पटरी भी घुमावदार थी, जिसके चलते ड्राइवर को आगे नहीं दिखाई पड़ा होगा. हालांकि आजतक के हाथ ऐसी जानकारी लगी, जिसने उनके दावे पर सवालिया निशान लगा दिया.

आपको बता दें कि जोड़ा फाटक से दोनों तरफ जालंधर-अमृतसर रेल ट्रैक एकदम सीधा है और सबसे बड़ी बात यह है कि लोको पायलट की नजर सिक्स बाई सिक्स होती है. ऐसे में ट्रैक पर जमा लोगों को न देख पाने की बात अपने आप में अचरज में डालने वाली है.

इसके अलावा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा था कि इस हादसे में लोको पायलट की कोई गलती नहीं है. कुल मिलाकर रेलवे का कहना था कि जहां पर यह हादसा हुआ वह जगह रेलवे के कानून के मुताबिक लोगों के इकट्ठा होने के लिए नहीं है. ऐसी किसी जगह पर जब लोग इकट्ठा होंगे, तो उसे गैर कानूनी एंट्री माना जाता है.

कैसे हुआ अमृतसर रेल हादसा?

बता दें कि शुक्रवार शाम को अमृतसर के चौड़ा बाजार स्थित जोड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर लोग मौजूद थे. पटरियों से महज 200 फुट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था. इसी दौरान जालंधर से अमृतसर जा रही डीएमयू ट्रेन वहां से गुजरी और ट्रैक पर मौजूद लोगों को कुचल दिया. इसके बाद चारो ओर लाशें बिछ गईं. इस हादसे में 59 लोगों की मौत हुई है, जबकि 57 लोग घायल हैं. हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार करीब 100 किमी. प्रति घंटे थी.

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