आशुतोष महाराज के अंतिम संस्कार मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की डबल बेंच अब 11 दिसंबर को सुनवाई करेगी. कोर्ट ने शुक्रवार को केवल तारीख देकर छोड़ दिया. जालंधर के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान नूरमहल के प्रमुख आशुतोष महाराज की समाधि या मौत के मामले में कोर्ट में अपील दायर की गई है. आशुतोष महाराज का शव बीते जनवरी से ही डीप फ्रीजर में रखा हुआ है.
ये अपील हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर किया गया है जिसमें कोर्ट ने आशुतोष महाराज को क्लीनिकल डेड मानते हुए 15 दिनों के अंदर अंतिम संस्कार करने का आदेश दिया है. अब दिव्य ज्योति संस्थान ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट के ही डबल बेंच में अपील दायर की है जिसकी सुनवाई आज हो सकती है.
हाईकोर्ट ने आशुतोष महाराज को समाधि से निकाल कर उनका अंतिम संस्कार करने की जो मोहलत दी है वो मोहलत 15 दिसंबर को खत्म हो रही है. यानी अदालती आदेश के हिसाब से 15 दिसंबर से पहले-पहले अंतिम संस्कार हो जाना चाहिए. मगर महराज के साधकों ने उनके आश्रम यानी दिव्य ज्योति जागृति संस्थान में 14 और 15 दिसंबर को ही विशाल सत्संग के आयोजन का ऐलान कर दिया है.
उधर, खुद को आशुतोष महाराज का बेटा कहने वाले दिलीप कुमार झा नाम के एक शख्स ने शव पर अपना हक जताया है. उनके मुताबिक उन्हें अपने पिता की अंत्येष्टि करने का अधिकार मिलना चाहिए. याचिकाकर्ता दिलीप ने आशुतोष महाराज के मौत पर भी सवाल खड़े किए हैं. उनके मुताबिक इसके पीछे गहरी साजिश है.
आशुतोष महाराज के सबसे पुराने राजदार और ड्राइवर पूरन सिंह का इल्जाम है कि महाराज की अरबों की संपत्ति हड़पने के लिए उन्हीं के कुछ साधकों ने उनका कत्ल कर मामले को दबाने के लिए समाधि का रंग दे दिया है. पूरन सिंह ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की जांच सीबीआई से कराने की अपील की है.
डॉक्टर आशुतोष महाराज को 29 जनवरी 2014 को ही मुर्दा करार दे चुके हैं. लेकिन महाराज के भक्त ये मानने को तैयार ही नहीं हैं. उनका तो ये कहना है कि महाराज खुद अपनी मर्जी से गहरी समाधि में लीन हैं. और ऐसे में उनका अंतिम संस्कार करना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी नामुमकिन है और महाराज के इन्हीं भक्तों ने उनकी लाश को जालंधर के पास नूरमहल आश्रम में एक फ्रीजर में बंद कर रखा है.
संस्थान के चारों ओर सुरक्षा के लिए पहले ही मचान बने हैं, जिनमें अब 24 घंटे आश्रम के सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. और तो और किसी भी शख्स को बगैर तलाशी के आश्रम के अंदर दाखिल होने की इजाजत नहीं है. लेकिन हालत तब और गंभीर हो जाती है. जब कानून के रखवाले यानी पुलिसवालों की एंट्री भी आश्रम में बैन कर दी जाती है. अब हर किसी को ये डर है कि कहीं ये मामला संत रामपाल के सतलोक आश्रम की तरह पेचीदा ना हो जाए.
दिलीप को बेटा मानने से इनकार
जिस दिलीप कुमार झा की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आशुतोष महाराज के अंतिम संस्कार के लिए पंजाब सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है, उसी दिलीप कुमार झा के साथ आशुतोष महाराज के रिश्तों पर अब भी सवालिया निशान मौजूद हैं. कोर्ट ने दिलीप को आशुतोष महाराज का बेटा मानने से इनकार कर दिया है, जबकि दिलीप और महाराज के ड्राइवर पूरन सिंह इस मामले पर हाई कोर्ट की डबल बेंच में नए सिरे से याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं.
दरअसल, खुद को आशुतोष महाराज का बेटा बताते हुए दिलीप कुमार झा ने हाई कोर्ट में जो अर्जी दी थी. उसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें खुद को महाराज का बेटा साबित करने को कहा. इस पर दिलीप ने अदालत में अपनी तरफ से कई दस्तावेज और सुबूत पेश किए. लेकिन अदालत ने उन्हें ठुकरा दिया.
ऐसे में अब दिलीप कुमार झा महाराज और अपना डीएनए जांच करवाना चाहते हैं, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. हालांकि फिलहाल इतना तो साफ है कि महाराज भी मूल रूप से बिहार के मधुबनी के नलखोर गांव के रहनेवाले थे और उनका असली नाम महेश कुमार झा हुआ करता था. अब दिलीप और पूरन की नई अर्जियों के बाद मामले का ऊंट किस करवट बैठेगा, ये देखनेवाली बात होगी.