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पंजाब सरकार को चेतावनी, राज्‍य पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा

भाकड़ा ब्‍यास प्रबंधन बोर्ड यानी बीबीएमबी ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी है कि राज्य की प्रमुख नदियों सतलुज और ब्यास के रास्ते में बने अतिक्रमण राज्य में बाढ़ के सबसे बड़े कारण बन सकते हैं. बीबीएमबी के निदेशक ए.बी. अग्रवाल के मुताबिक इस बारे में पंजाब सरकार को औपचारिक सूचना दे दी गयी है.

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भाकड़ा ब्‍यास प्रबंधन बोर्ड यानी बीबीएमबी ने पंजाब सरकार को चेतावनी दी है कि राज्य की प्रमुख नदियों सतलुज और ब्यास के रास्ते में बने अतिक्रमण राज्य में बाढ़ के सबसे बड़े कारण बन सकते हैं. बीबीएमबी के निदेशक ए.बी. अग्रवाल के मुताबिक इस बारे में पंजाब सरकार को औपचारिक सूचना दे दी गयी है.

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बीबीएमबी ने पंजाब सरकार को सूचित किया है कि इस साल ज्यादा बर्फ पिघलने और मानसून के जल्दी आने से नदियों में पानी काफी ज्यादा मात्रा में आ रहा है. अगर यही हालात रहे तो भाकड़ा बांध और पोंग बांध से पानी छोड़ना पड़ेगा.

बीबीएमबी ने पंजाब सरकार की लापरवाही पर चिंता जाहिर की है. बीबीएमबी और पंजाब के सरकार के बीच बैठक में बोर्ड के चेयरमेन ए.बी. अग्रवाल ने कहा कि या तो पंजाब सरकार नदियों के इलाके में बने अतिक्रमण को हटाये या फिर बाढ़ के हालत के लिए तैयार रहे. असल में इस साल पहाडी इलाकों में पिछले 23 सालों में सबसे ज्यादा बर्फ पड़ी है यह बर्फ तेजी से पिघलकर नदियों में आ रही है. साथ ही मानसून ने भी समय से पहले काफी ज्यादा पानी बरसाया है. लिहाजा सभी नदियों में पानी उफान पर है.

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इस वक्त भाकड़ा बांध में 1930 फीट पानी है जो पिछले साल के मुकाबले 84 फीट ऊपर है. जबकि ब्यास नदी पर बने पोंग बांध का जल स्तर पिछले साल के मुकाबले 48 फीट ऊपर है. इस तरह के हालात में भाकड़ा और पोंग बांध से पानी छोड़ना पड़ सकता है, लेकिन हालात और भी इस लिए चिंताजनक हैं कि नदियों में इस पानी को ढ़ोने के लिए जगह ही नहीं बची है.

बीबीएमबी के चेयरमैन ए.बी अग्रवाल के अनुसार इस वक्त सतलुज और ब्यास नदियों के किनारे पूरे पंजाब में लोगों ने अतिक्रमण कर लिए है. कहीं नदी के अंदर तक मिट्टी डाल कर खेत बना दिए गए हैं तो कहीं तो नदी के बीच ही रिहायशी कॉलोनियां काटी गयी हैं. आजतक भी मोहाली जिले के नयागांव से गुजरने वाली एक मौसमी नदी पर पहुंचा. लेकिन यहां नदी के सारे इलाके में इमारतें बन रही है. नदी सिमटकर  नाले में तब्दील हो गयी है. अगर इस मौसम में भारी बरसात होगी तो यह पानी कहां जाएगा? जाहिर है नदी में रास्ता न मिलने पर ऊपर से आने वाला पानी इंसानी इलाकों में ही घुसेगा.

सतलुज और ब्यास दोनों नदियों की क्षमता 20 से 30 साल पहले 5 से 7 लाख क्यूसेक पानी की थी. यानी इतना पानी इनके किनारों के अन्दर से आराम से बहकर निकल जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालो में इन नदियों में अगर महज 70 हजार क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ दिया जाए तो पंजाब में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते है. पानी नदी से बहार निकल जाता है. नदी के किनारे पहले के मुकाबले संकरे हो गए हैं.

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बीबीएमबी का कहना है कि हमने तो पंजाब सरकार को बता दिया है, हम कंट्रोल तरीके से पानी छोड़ेंगे लेकिन अगर पानी ज्यादा आया तो हमारे हाथ खड़े हो जाएंगे.

बीबीएमबी पंजाब से बहने वाली सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का प्रबंधन करता है. इन पर बने भाकड़ा, पोंग और रंजित सागर बांध से बिजली पैदा करता है. इसके जलाशयों में साल भर पानी इकट्ठा होता है लेकिन, अगर पानी ज्यादा हो जाए तो बांध की सुरक्षा के लिए उसे छोड़ना भी पड़ता है. अब भाखड़ा बांध प्रबंधन कुछ भी कहे, पंजाब सरकार के पास जवाब तैयार है. क्योंकि नदी किनारों पर जो कब्जे हो रहे हैं वो जमीन सरकारी नहीं है प्राइवेट है, लिहाजा सरकार क्या करे. अब भला कौन समझाए यहां बात सिर्फ जमीन की नहीं बल्कि सैंकड़ों जानों की भी है.

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