पंजाब में लंबे समय से राज्यपाल बनाम सरकार की एक सियासी जंग छिड़ी हुई है. इस जंग की वजह है राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की भूमिका और सरकारी कामकाज में उनका हस्तक्षेप. पंजाब सरकार दावा कर रही है कि राज्यपाल को सरकार के अनुसार ही चलना होगा, लेकिन यहां पर उनके द्वारा सिर्फ काम में अड़ंगा डाला जा रहा है. दूसरी तरफ राज्यपाल को मुख्यमंत्री भगवंत मान के जवाबों से आपत्ति है, उनकी भाषा पर कई तरह के सवाल उठाए गए हैं. हाल ही में जब तीन मार्च के लिए बजट सेशन शुरू करने की अनुमति मांगी गई तो राज्यपाल ने लीगल एडवाइस लेने की बात कर डाली. उसी केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बहस हुई है.
कोर्ट में क्या दलीलें रखी गईं?
सुनवाई के दौरान एक तरफ राज्यपाल की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें रखीं तो वहीं राज्य सरकार के लिए अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश कीं. सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 171 मुताबिक राज्यपाल के पास कैबिनेट के अनुरोध को स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. विधानसभा बुलाने के केबिनेट के अनुरोध को मानने के मामले में गवर्नर के पास कोई विवेकाधिकार नहीं है. इन तर्कों पर एसजी ने जोर देकर कहा कि सीएम द्वारा जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया, वो स्वीकार नहीं की जा सकती.
संविधान को लेकर आर-पार की लड़ाई
तुषार मेहता ने बोला कि राज्यपाल संवैधनिक पद पर हैं लेकिन उनके द्वारा पूछे गए सवाल का मुख्यमंत्री के द्वारा जिस भाषा मे जवाब दिया गया है, वह अनुचित है. एसजी की तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया कि राज्यपाल द्वारा कहा गया है कि वे लीगल एडवाइस लेकर बजट सेशन पर फैसला देंगे. उस बात का संज्ञान लिया जाना चाहिए. लेकिन इन दलीलों को पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने स्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा हाईजैक करने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है. सिंघवी ने कहा कि क्या आप कह सकते हैं कि एक चाय पार्टी को लेकर आपका मुझसे झगड़ा हुआ था, इसलिए आप विधानसभा नहीं बुलाएंगे. कृपया देखें कि डॉ बीआर अंबेडकर ने क्या कहा. डॉ अंबेडकर ने कभी भी सीएम द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को मंजूरी नहीं दी होती. राज्यपाल संविधान को हाईजैक कर रहे हैं, क्या वे इस तरह से सौंपी गई संवैधानिक भूमिका को बरकरार रखते हैं?
कैसे शुरू हुआ सारा बवाल?
अब जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ समय से लगातार पंजाब में राज्यपाल बनाम सरकार की तनातनी चल रही है. ये विवाद सिंगापुर में टीचरों को ट्रेनिंग के लिए भेजने से शुरू हुआ था. पंजाब सरकार के उस फैसले से राज्पपाल नाराज हुए थे, उनकी तरफ से पूछा गया था कि आखिर क्यों शिक्षकों को सिंगापुर भेजा गया. इस सवाल पर सीएम भगवंत मान ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया, बल्कि ये कह दिया कि वे राज्यपाल को जवाबदेह नहीं हैं. इस वजह से अधिकारों की लड़ाई तेज हो गई और अब सुप्रीम कोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई हुई है.