दिल्ली के बाद अब पंजाब में भी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न को वापस लौटाने की मांग जोर पकड़ रही है. अकाली दल ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इस मसले पर विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग की है ताकि उसमें स्वर्गीयराजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न को वापस करने का प्रस्ताव पास किया जा सके.
अकाली दल के महासचिव और प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि दिल्ली की अदालत द्वारा 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपी सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा मिलने से अब साबित हो गया है कि दंगाइयों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था. सज्जन कुमार के बयानों सेसाबित हो चुका है कि राजीव गांधी को न केवल दंगों की जानकारी थी बल्कि उन्होंने एक बयान में यहां तक कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो जमीन हिलती है.
दंगों के वक्त राहुल गांधी बच्चे थे
डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बार-बार सिख विरोधी दंगों के लिए कांग्रेस को क्लीन चिट देते आए हैं. उन्होंने कहा कि कैप्टन बार-बार कहते हैं कि दंगों के वक्त राहुल गांधी बच्चे थे लेकिन 22 साल के सुखबीर बादल को निर्दोष नहीं मानते जो उस वक्तअमेरिका में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे.
उधर, राजीव गांधी मामले पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को खारिज करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि अकाली दल धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामले पर बैकफुट पर है इसलिए व्यर्थ के मामले उठाकर लोगों का ध्यान पंजाब के असली मुद्दों से हटाना चाहता है.
आम आदमी पार्टी ने की अकाली दल की आलोचना
पंजाब की प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी ने भी इस मामले पर अकाली दल की आलोचना की है. आम आदमी पार्टी के उप -पंजाब प्रमुख अमन अरोड़ा ने कहा कि राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग जायज नहीं है और अकालीदल बे सिर पैर के मुद्दे उछाल कर विधानसभा का समय बर्बाद करना चाहता है.
अकाली दल इस मामले को भुनाने की फिराक में
गौरतलब है कि पंजाब में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामले पर अकाली दल पहले ही बैकफुट पर है. उसके पास सरकार को घेरने वाले मुद्दों का अकाल है. अब सज्जन कुमार को 84 के दंगों में सजा मिलने के बाद उसके हाथ एक नया मुद्दा लग गया है. अकाली दल पूर्व प्रधानमंत्रीराजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न वापस लौटाने की मांग कर 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले को जिंदा रखना चाहता है. हालांकि सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी अकाली दल की मांग से सहमत नहीं है लेकिन अकाली दल इस मामले को भुनाने की फिराकमें है.