लंबे समय से फरार चल रहे खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह को आखिर पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया है. पिछले दो महीने से अमृतपाल फरार चल रहा था और उसकी तलाश में पुलिस कई राज्यों में तलाशी अभियान भी चला रही थी. अमृतपाल अपनी गिरफ्तारी से पहले मोगा जिले के रोडे गांव स्थित गुरुद्वारे में पहुंचा और वहां प्रवचन भी दिए, जिसका वीडियो भी सामने आया है.
अमृतपाल सिंह ने अपनी गिरफ्तारी के लिए पंजाब के रोडे गांव को ही क्यों चुना, इसके पीछे भी एक अहम वजह है. दरअसल, ये वही गांव है, जहां आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले का जन्म हुआ था और अमृतपाल सिंह की ‘दस्तारबंदी’ (पगड़ी बांधने की रस्म) की रस्म भी यहीं हुई थीं. अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार और जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा जसबीर सिंह रोडे भी यहीं रहता है. इसके अलावा आतंकवाद के दौरान पंजाब में कई लोगों की हत्या में शामिल आतंकी लखबीर सिंह रोडे भी इसी गांव से ताल्लुक रखता है जो फिलहाल पाकिस्तान में छिपा बैठा है.
अमृतपाल सिंह ने मोगा गुरुद्वारा ही क्यों चुना सरेंडर के लिए...क्या है मोगा गुरुद्वारे का अमृतपाल से कनेक्शन? ज्यादा जानकारी दे रहे हैं आजतक संवाददाता @satenderchauhan#AmritpalSingh #Punjab #BigBreaking | @ashutoshjourno pic.twitter.com/rrl1odMkge
— AajTak (@aajtak) April 23, 2023
भिंडरावाले को अपना रोल मॉडल माने वाले अमृतपाल सिंह की दस्तारबंदी 29 सितंबर, 2022 को इसी रोडे गांव में हुई थी. तब उसने कहा था कि सिख अभी भी गुलाम हैं. कहा जा रहा है कि जिस गुरुद्वारे में अमृतपाल ने गिरफ्तारी से पहले प्रवचन दिया, वहीं से उसका उदय हुआ था. भिंडरावाले से खुद को जोड़कर वह सुर्खियों में आना चाहता था और इसीलिए उसने रोडे गांव को दस्तारबंदी और गिरफ्तारी से पहले प्रवचन के लिए चुना.
रोडे गांव में ही आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को धमकी दी थी. दीप सिद्धू की याद में गेट बनाने की नींव रखने को जब अमृतपाल यहां पहुंचा था तो उसने धमकी दी थी. उसने कहा कि अमित शाह का भी इंदिरा गांधी जैसा हश्र हो सकता है. हालांकि जब मामले ने तूल पकड़ा तो वह अपनी बात से मुकर गया और कहने लगा कि उसने शाह को नहीं बल्कि शाह ने उसे धमकी दी है.
एक सोची समझी साजिश के तहत अमृतपाल सिं काम कर रहा था. पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले अमृतपाल अपनी भगोड़े और बहुरुपिये वाली छवि को तोड़ना चाहता था और इसलिए उसने रोडे गांव में स्थित गुरुद्वारे में जाकर पहले प्रवचन दिया ताकि उसके वीडियो को समर्थक फैला सकें और उसकी एक अच्छी छवि लोगों के बीच में जाए. अपने प्रवचन में उसने कहा कि मैंने यहीं से वारिस दे पंजाब की कमान संभाली थी, यानि यहीं से मैंने शुरुआत की थी और आज मैं यहीं से सरेंडर करने जा रहा हूं.
मकसद साफ था कि वह सरेंडर करने और फिर गिरफ्तार होने से पहले भी लोगों की भावनाओं को भड़काना चाहता था. इसके लिए उसके पास बकायदा एक पीआर टीम थी, जो उसकी हर रणनीति को लोगों के सामने पहुंचाने का काम कर रही थी. यह वीडियो भी इसी रणनीति के तहत शूट किया गया था.
अमृतपाल सबसे पहले 23 फरवरी को चर्चा में आया था. उसने अजनाला पुलिस स्टेशन में अपने करीबी को छुड़ाने के लिए हजारों समर्थकों के साथ हमला बोल दिया था. इस हमले में 6 पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे.अमृतपाल और उसके समर्थकों के हाथ में तलवार, लाठी-डंडे थे. ये पूरा बवाल आठ घंटे तक चला था. अमृतपाल के समर्थक लवप्रीत तूफान की रिहाई को मांग को लेकर हुआ था. इसके बाद उसने कई टीवी चैनलों में दिए इंटरव्यू में अलग खालिस्तान की मांग की थी.