महाराष्ट्र में शिवसेना और हरियाणा में हरियाणा जनहित कांग्रेस (एचजेसी) के बाद लगता है अब अकाली दल को बीजेपी की बढ़ती ताकत से जूझना होगा. बीजेपी के अंदर से ही बातें उठ रही हैं कि शिवसेना से 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के बाद अब बीजेपी 2017 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में अकाली दल से भी नाता तोड़ सकती है. अकाली दल और बीजेपी का 1996 से गठबंधन चला आ रहा है.
पंजाब बीजेपी प्रभारी रामशंकर कथीरीया ने बुधवार को इस बात के संकेत दिए. उन्होंने कहा, अगर पंजाब में भी हालात हरियाणा की तरह रहे तो पार्टी 2017 का चुनाव अकेले लड़ने का फैसला कर सकती है. 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अभी करीब ढाई साल का समय बचा है. लेकिन बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टी अकाली दल को साफ संकेत दे दिया हैं कि अगर सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसा तो पार्टी अकेले चुनाव लड़ सकती है.
2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में 117 सीटों के बंटवारे में से बीजेपी को सिर्फ 23 सीटें ही मिलीं थीं, जबकि 94 सीटों पर अकाली दल के उम्मीदवार थे. चंडीगढ़ में बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामशंकर कथीरीया ने हरियाणा का जिक्र भी किया. उन्होंने बताया कि सीटों के बटंवारे पर सहमति न बनने से हरियाणा में बीजेपी-एचजेसी गठबंधन टूट गया था. उन्होंने ये भी बताया कि 2017 में आधी से कम सीटों पर बीजेपी मानने वाली नहीं है.
कथीरिया ने कहा, पार्टी के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया कि अकाली दल उनकी बातें मान ही नहीं रहा है. पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ की गई कई दौर की मीटिंग में उनके सामने ये बातें आई हैं. उन्होंने कहा, अगर अकाली दल का बीजेपी पर जरूरत से ज्यादा दबाव बढ़ा तो पार्टी आर-पार की लड़ाई के लिए भी तैयार है.
बीजेपी बूथ स्तर पर अपना संगठन मजबूत करने में जुट गई है. बीजेपी की तैयारियों को देखते हुए लगता है कि पार्टी ने ढाई साल पहले ही विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य के ग्रामीण इलाकों में भी अपनी पैठ बनाने के लिए बीजेपी ने सदस्यता अभियान छेड़ दिया है. एक वरिष्ठ पार्टी नेता के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑनलाइन सदस्यता अभियान शुरू करने के बाद पंजाब में पार्टी ने 15 लाख नए प्राइमरी सदस्य बना लिए हैं.