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पंजाबः शहर से गांवों की ओर बढ़ा कोरोना, पुलिस की बैरिकेडिंग और सन्नाटे का आलम

पंजाब में कोरोना के केस भले ही लगातार कम हो रहे हो लेकिन राज्य के लिए चिंता की बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में करोना संक्रमण की रफ्तार बदस्तूर जारी है और साथ ही मरने वालों का आंकड़ा भी.

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पंजाब के खियालां कलां गांव के बाहर पुलिस की बैरिकेटिंग (फोटो-सतेंदर)
पंजाब के खियालां कलां गांव के बाहर पुलिस की बैरिकेटिंग (फोटो-सतेंदर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मानसा के गांव खियालां कलां में अब हर तरफ सन्नाटा
  • गांव में 54 एक्टिव केस, 1 महीने में 12 लोगों की मौत
  • खियालां कलां की तरह भोपाल गांव में भी लोगों में खौफ

पंजाब के गांवों में इस वक्त स्थिति क्या है, इसका अंदाजा चंडीगढ़ से करीब 180 किलोमीटर दूर मानसा जिले के ग्रामीण क्षेत्र के गांव खियालां कलां को देखकर लग जाता है जहां पर कभी चहलकदमी और खुशहाली से भरा रहने वाला ये गांव आज कोरोना की वजह से विरान पड़ा है और गांव की सड़कों पर लोग दिखाई नहीं दे रहे.

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दरअसल, इस गांव में कोरोना के 54 एक्टिव केस हैं जबकि करीब 12 लोगों की पिछले 1 महीने में मृत्यु हो चुकी है. इसी के चलते गांवों में लोग अपने घरों में बंद हैं और गलियों में सन्नाटा पसरा हुआ दिखाई दे रहा है. 

वहीं गांव के बाहर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी है क्योंकि ये पूरा इलाका कंटेनमेंट जोन बनाया गया है और पुलिस के जवानों के साथ ही गांव के बुजुर्गों को भी नाके पर बिठाया गया है ताकि वो पहचान कर सकें कि कौन व्यक्ति इस गांव का है और कौन बाहर से आ रहा है. साथ ही अगर कोई ऐसा व्यक्ति जोकि कोरोना पॉजिटिव है और अगर वो गांव से बाहर आता है तो उसे पहचानने के लिए भी पुलिस के साथ बुजुर्गों की तैनाती की गई है.

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खियालां कलां गांव में लोग घर के अंदर रहने को मजबूर (फोटो-सतेंदर)
खियालां कलां गांव में लोग घर के अंदर रहने को मजबूर (फोटो-सतेंदर)

गांव में इलाज की सुविधा नहीं

खियालां कलां गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर भोपाल गांव में भी कुछ ऐसी स्थिति है. भोपाल गांव के 65 वर्षीय दर्शन सिंह की देखते ही देखते कोरोना से मौत हो गई. 17 मई को वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे लेकिन गांव में इलाज की कोई सुविधा नहीं थी और साथ ही शहर के सरकारी अस्पताल में भी ये कहकर हाथ खड़े कर लिए कि उनके पास आईसीयू और ऑक्सीजन युक्त बेड नहीं है. जिसके बाद भटिंडा के प्राइवेट अस्पताल ले जाकर बुजुर्ग दर्शन सिंह को एडमिट कराया गया लेकिन 2 लाख रुपये खर्च करने के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और अब उनके परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है.

गांव में सुविधा नहीं होने की वजह से दर्शन सिंह की मौत हो गई
गांव में सुविधा नहीं होने की वजह से दर्शन सिंह की मौत हो गई

खियालां कलां गांव की तरह ही भोपाल गांव की सड़कें भी विरान दिखाई दी और लोग अपने-अपने घरों में दुबके हुए दिखाई दिए. गांव के सरपंच हरबंस सिंह ने बताया कि पंचायत की ओर से गांव के लोगों को सख्त निर्देश है कि वो बेवजह अपने घरों से बाहर ना निकलें और अगर बाहर आना पड़ता है तो मास्क और सैनिटाइजर इत्यादि का इस्तेमाल करें. इसी के चलते गांव में तमाम लोग अपने घरों में बंद हैं और अभी भी गांव में करीब दो दर्जन से ज्यादा पॉजिटिव केस हैं.

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ग्रामीण अंचल में बढ़ रहे मामले

पंजाब में कोरोना के केस भले ही लगातार कम हो रहे हो लेकिन राज्य के लिए चिंता की बात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में करोना संक्रमण की रफ्तार बदस्तूर जारी है और साथ ही मरने वालों का आंकड़ा भी. अगर पंजाब सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्रामीण क्षेत्रों में अप्रैल 2021 में पंजाब के कुल केसों में से 42.2% मामले सामने आए, जबकि मई 2021 में अब तक पंजाब के कुल केसों में से 45.3% मामले सामने आ चुके हैं.

इसके अलावा पंजाब के कई गांवों में पॉजिटिविटी रेट 10% से भी ज्यादा चल रहा है. 15 से लेकर 23 मई के बीच पंजाब में 55,801 कोरोना पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए जबकि 1,790 लोगों की मौत हुई, लेकिन हैरानी की बात ये है कि इन मामलों में से ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. 

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पंजाब की करीब 65 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है. पंजाब सरकार की 15 से 23 मई के बीच तैयार की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान शहरी क्षेत्र में पॉजिटिविटी रेट 9.3% रहा तो ग्रामीण क्षेत्रों में पॉजिटिविटी रेट 6.9 फीसदी रहा.

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ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर 3.6 फीसदी

चिंता की बात ये है कि गांवों में कई ऐसे लोग हैं जोकि करोना टेस्ट करवाने के लिए सामने ही नहीं आए जबकि कई की संदिग्ध परिस्थितियों में मौतें भी हो गई. माना जा रहा है कि ये मौतें करोना की वजह से हुईं.

शहरों में जहां मृत्यु दर 2.8% फीसदी रही तो ग्रामीण क्षेत्रों में मृत्यु दर 3.6 फीसदी रिकॉर्ड की गई. जबकि राष्ट्रीय मृत्यु दर 1 फीसदी है. इस हिसाब से पंजाब के गांवों में 2.6 फीसदी ज्यादा लोगों की मौत हुई है.

हालांकि पंजाब सरकार की ओर से अब गांवों में टेस्टिंग के साथ ही वैक्सीनेशन भी तेज गति से किए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद जिस तरह से लगातार संक्रमण बढ़ रहा है तो उसे देखकर लगता है कि पंजाब सरकार इन सब प्रयासों में काफी देर से जागी है और यही वजह है कि अब शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में करोना के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं.

 

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