सामाजिक और आध्यात्मिक नेता इकबाल सिंह का शनिवार को निधन हो गया. वे 95 साल के थे. वे बीमार थे और पिछले एक महीने से अस्पताल में थे. वह शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर लौटे थे. इकबाल सिंह के निधन पर पीएम मोदी ने दुख जताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बाबा इकबाल सिंह के निधन से आहत हूं. युवाओं में शिक्षा बढ़ाने के उनके प्रयासों के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने सामाजिक सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने की दिशा में अथक प्रयास किया. इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं. वाहेगुरु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.
Pained by the passing away of Baba Iqbal Singh Ji. He will be remembered for his efforts to increase education among youngsters. He tirelessly worked towards furthering social empowerment. My thoughts are with his family and admirers in this sad hour. May Waheguru bless his soul.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 29, 2022
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अकाल अकादमियों के संचालक एवं संस्थापक तथा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बाबा इकबाल सिंह के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकग्रस्त परिजनों व प्रशंसकों को संबल प्रदान करें.
अकाल अकादमियों के संचालक एवं संस्थापक तथा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बाबा इकबाल सिंह जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ।
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) January 29, 2022
ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा शोकग्रस्त परिजनों व प्रशंसकों को संबल प्रदान करें।
वहीं, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि शिरोमणि पंथ रतन सरदार बाबा इकबाल सिंह के निधन से गहरा दुख हुआ. मानवती की सेवा के लिए उनके प्रयासों के चलते इस साल उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
ਸਮਾਜ ਸੇਵੀ ਅਤੇ ਪਰਉਪਕਾਰੀ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਪੰਥ ਰਤਨ ਬਾਬਾ ਇਕਬਾਲ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੇ ਅਕਾਲ ਚਲਾਣੇ 'ਤੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ | ਇਸ ਸਾਲ ਪਦਮ ਸ਼੍ਰੀ ਨਾਲ ਸਨਮਾਨਿਤ, ਬਾਬਾਜੀ ਨੂੰ ਮਾਨਵਤਾ ਦੀ ਸੇਵਾ ਲਈ ਕੀਤੇ ਗਏ ਯਤਨਾਂ ਲਈ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। pic.twitter.com/nY23jsXZhI
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) January 29, 2022
इकबाल सिंह का जन्म 1 मई, 1926 को गुरदासपुर के भारयाल लहरी गांव में हुआ था. उन्होंने 1949 में कृषि विश्वविद्यालय फैसलाबाद (ल्यालपुर) पाकिस्तान से कृषि विज्ञान में ग्रैजुएशन किया. बाद में उन्होंने कृषि विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की. उन्होंने हिमाचल प्रदेश सरकार के कृषि विभाग में सरकारी कर्मचारी के रूप में अपना करियर शुरू किया. 1986 में निदेशक कृषि के रूप में सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, वह सिरमौर हिमाचल प्रदेश में बारू साहिब चले गए और अकाल अकादमी शुरू की. उन्होंने यहां एक अस्थायी स्कूल शुरू किया जिसमें शुरुआत में केवल 5 छात्र थे. बाद में उन्होंने हिमाचल प्रदेश, पंजाब हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 129 कम लागत वाले स्कूलों की स्थापना की.
कलगीधर ट्रस्ट के अनुसार, ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में कम लागत वाले शिक्षण संस्थान स्थापित करने के पीछे का विचार ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षिक सुविधाएं प्रदान करना था ताकि इन क्षेत्रों के छात्र राष्ट्र के विकास में योगदान दे सकें.