विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े पंजाब की सियासत नए कृषि कानूनों के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इन कानूनों को रद्द करने को लेकर किसानों से बात की. सीएम चन्नी ने ये कानून और राज्य में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार बढ़ाए जाने को लेकर जारी अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए 8 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है.
चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल से बात की और सत्र के लिए उनसे सुझाव मांगे. जैसे ही मुख्यमंत्री चन्नी ने राजेवाल से फोन पर की गई बातचीत का की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की, पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें निशाने पर ले लिया. कैप्टन ने कहा कि मेरी सरकार पहले ही यह सब कर चुकी है. हमने किसान नेताओं से बातचीत करने के बाद ही कृषि कानूनों में संशोधन करके तीन विधेयक विधानसभा में पारित किए थे लेकिन राज्यपाल ने कोई कार्रवाई नहीं की.
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि राज्यपाल नए बिल पर भी कुछ नहीं करने वाले. किसानों से झूठे वादे करके उनको गुमराह न करें. गौरतलब है कि पंजाब विधानसभा से कृषि कानूनों के खिलाफ कैप्टन के सीएम रहते ही प्रस्ताव पारित किया गया था. इस प्रस्ताव को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिली है. इसके अलावा इस साल के मार्च माह में भी पंजाब विधानसभा में कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया गया था.
कानून रद्द करने का अधिकार सिर्फ संसद के पास
पंजाब सरकार भले ही कृषि कानूनों के खिलाफ विधेयक पास कर दे या उन्हें लागू न होने देने की बात करे, कानून रद्द करने का अधिकार सिर्फ संसद के ही पास है. संसद ही कानून रद्द या संशोधित कर सकती है. राज्य सरकारें केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करके उसे लागू नहीं करने के लिए नया कानून बना सकती हैं लेकिन उसके लिए भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी.
पंजाब सरकार की ओर से पिछले साल पारित किए गए तीन विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती तो कृषि कानूनों को लेकर छिड़ा विवाद थम जाता. ये विधेयक फिलहाल पंजाब के राज्यपाल के पास लंबित पड़े हैं. पंजाब सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प भी है. सुप्रीम कोर्ट पहले ही विवादित कानून पर रोक लगा चुका है.