पंजाब के कैबिनेट मिनिस्टर नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर अपने बयान को लेकर फंसते नजर आ रहे हैं. सोमवार को अफीम की खेती को लेकर दिए गए उनके बयान के बाद पंजाब में राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. सिद्धू ने अपने बयान में अफीम के इस्तेमाल को सही करार दिया था.
दरअसल, सिद्धू ने रविवार को लुधियाना में कार्यक्रम के दौरान कहा था कि राज्य में अफीम की बिक्री को बैन नहीं किया जाना चाहिए और उनके चाचा जी खुद पर्ची से अफीम खरीदा करते थे, लेकिन पंजाब को अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने चिट्टे यानी सिंथेटिक नशे के कारोबार से बर्बाद करके रख दिया है.
कैबिनेट में उनके ही साथी मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने सिद्धू की मांग को उनकी निजी राय करार देते हुए कहा कि पंजाब सरकार अफीम जैसे नशे को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कुछ नहीं कर सकती और अगर कोई ऐसी मांग उठती है तो वो इसका विरोध करेंगे.
वहीं, अकाली दल ने भी सिद्धू की इस मांग को गैर वाजिब करार दिया है. पार्टी के मुताबिक, ये कोई विकल्प नहीं है कि पंजाब सरकार सिंथेटिक नशे यानी चिट्टे को खत्म नहीं कर पा रही तो अफीम की बिक्री को जायज कर दे.
अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि देश के कुछ राज्यों में अफीम की खेती की जाती है, लेकिन वहां ये खेती दवाओं और अफीम के दूसरे वाजिब इस्तेमाल के लिए सरकार के नियंत्रण में की जाती है.
दलजीत सिंह के मुताबिक, क्या पंजाब में ऐसा मुमकिन है कि अफीम की खेती हो और उसकी पैदावार का गलत इस्तेमाल न हो.
अकाली दल ने सिद्धू को सीख दी कि इस तरह की राय देना पंजाब के कैबिनेट मिनिस्टर को शोभा नहीं देता और ऐसी बात कहकर वे राज्य में नशे के खात्मे के अपनी पार्टी के वादे को पूरा न कर पाने की वजह से जनता का ध्यान डाइवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं.
इस बयान से सिद्धू ने पंजाब सरकार और कांग्रेस के लिए एक नई मुश्किल खड़ी कर दी है. वे पहले भी कई बार इस तरह के बयान दे चुके हैं, जिससे खुद उनके लिए और पंजाब की कैप्टन सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो चुकी हैं.