पंजाब विधानसभा चुनाव 2017 से पहले ड्रग्स का मुद्दा राज्य में छाया रहा था. युवकों में ड्रग्स की लत की बैकग्राउंड पर बनी विवादित फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ भी उस वक्त बहुत सुर्खियों में रही थी. अब एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के आरोपों के बाद पंजाब में पुलिस और ड्रग्स सरगनाओं के कथित गठजोड़ के मुद्दे पर फिर फोकस लौट आया है.
1986 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस और डीजीपी रैंक के अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा, पंजाब पुलिस इंटेलीजेंस चीफ दिनकर गुप्ता और मोगा के एसएसपी राज जीत सिंह पर ड्रग्स सरगनाओं को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही ये भी कहा है कि ये वरिष्ठ अधिकारी ड्रग्स के अवैध कारोबार के जरिए अपनी जेब भर रहे हैं.
आरोप है कि चटोपाध्याय के खिलाफ मुहिम के पीछे खुद डीजीपी अरोड़ा हैं. अरोड़ा से चटोपाध्याय चार बैच जूनियर अधिकारी हैं. दरअसल, चटोपाध्याय पंजाब और हाईकोर्ट की ओर से गठित उस विशेष जांच टीम (एसआईटी) की अगुआई कर रहे हैं जो ड्रग्स की समस्या से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच कर रही है.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को खालसा दीवान के पूर्व प्रमुख इंद्रप्रीत सिंह चड्ढा की खुदकुशी से जुड़े मामले में चटोपाध्याय के पक्ष की सुनवाई की. पंजाब पुलिस की एक एसआईटी इस मामले में चटोपाध्याय की कथित भूमिका को लेकर जांच कर रही है. चटोपाध्याय इस वक्त पुलिस के मानव संसाधन विकास विंग के इंचार्ज और डीजीपी रैंक के अधिकारी हैं.
जस्टिस सूर्यकांत की कोर्ट ने चड्ढा खुदकुशी केस में चटोपाध्याय की भूमिका को लेकर एसआईटी की जांच पर रोक लगा दी.
इंडिया टुडे ने पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा से कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली.
राज्य के दो डीजीपी आमने-सामने हैं लेकिन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. सरकार का कहना है कि मामला कोर्ट के विचाराधीन है. बता दें कि पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने ड्रग्स की समस्या को बड़ा मुद्दा बनाया था.
चटोपाध्याय की नुमाइंदगी करने वाले अनुपम गुप्ता ने इंडिया टुडे से कहा, ‘चड्ढा खुदकुशी केस द्वेष से प्रेरित है और डीजीपी सुरेश अरोड़ा और दिनकर गुप्ता मेरे मुवक्किल के खिलाफ जांच की निगरानी कर रहे हैं. ये संगठित ढंग से और गलत भावना से किया जा रहा है.आईजीपी क्राइम एल के यादव डीजीपी अरोड़ा के कहने पर चल रहे हैं.’
चटोपाध्याय की दिक्कतें तब शुरू हुई थी जब उन्हें इस साल के शुरू में राज्य में ड्रग्स रैकेट की जांच के एसआईटी का प्रमुख नियुक्त किया गया था. बताया जाता है कि चटोपाध्याय ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी हैं जिनमें वरिष्ठ अधिकारियों पर उंगली उठाई गई है.