बीते कई दिनों से वायु प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्ली-एनसीआर को दिवाली से पहले बड़ी राहत मिली है. इंद्र देव ने राष्ट्रीय राजधानी और उसके आसपास के शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद के लोगों को प्रदूषण से निजात पाने में मदद की है. पूरे दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार रात को झमाझम बारिश हुई, जिसके बाद वायु गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार देखने को मिला है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और दिल्ली में कल शाम तक औसत एक्यूआई 400 से ज्यादा था, जो आज सुबह घटकर 100 पर आ गया.
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं के कारण दिल्ली का दम घुट रहा था, वहां बारिश के बाद हालात सुधर गए. लेकिन पंजाब के ज्यादातर हिस्सों में हवा की गुणवत्ता अब भी बहुत खराब बनी हुई है. लगातार पराली जलाने से बठिंडा शहर शुक्रवार सुबह धुएं की चादर में छिपा रहा. बठिंडा में एक्यूआई पिछले दो सप्ताह से 'बहुत खराब' श्रेणी में बना हुआ है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 10 नवंबर की सुबह बठिंडा का एक्यूआई 374 था.
पंजाब के अधिकांश शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब
इसी तरह अमृतसर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 246, लुधियाना में 266, पटियाला में 291, जालंधर में 248, कूपरथला में 202, होशियारपुर में 170, फिरोजपुर में 164 दर्ज किया गया. AQI की गणना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जाती है और इसके लिए आठ जिम्मेदार प्रदूषकों पर विचार किया जाता है. AQI की गणना तब की जा सकती है जब कम से कम 3 प्रदूषकों का मॉनिटरिंग डेटा उपलब्ध हो, जिनमें से एक PM 2.5 या PM 10 होना चाहिए. बठिंडा में पराली के धुएं ने प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ा दिया है कि लोगों के लिए मॉर्निंग वॉक पर निकलना भी मुश्किल हो गया है.
वायु प्रदूषण को लेकर राज्यों पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट
आपको बता दें कि न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ पंजाब सरकार को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा दायर करने का निर्देश दे चुकी है. शीर्ष अदालत ने पंजाब के अलावा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार को भी एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. सर्दियों के महीनों के दौरान वायु प्रदूषण के स्तर में कई कारणों से बढ़ोतरी होती है, जिसमें धूल, निर्माण गतिविधियों और वाहनों के कारण फैलने वाला प्रदूषण, शुष्क-ठंडा मौसम, धान की पराली जलाना, अन्य फसलों के अवशेष जलाना शामिल है.
देश में पराली जलाने की कुल घटनाओं में पंजाब से 93%
केंद्र सरकार ने 7 नवंबर तक की एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि इस दिन तक पराली जलाने की देश भर में कुल 22,695 घटनाओं में करीब 93 फीसद मामले अकेले पंजाब से हैं, जबकि हरियाणा की हिस्सेदारी 7 फीसद है. केंद्र के मुताबिक पंजाब में 7 नवंबर तक पराली जलाने की कुल घटनाएं 22981 रहीं, हरियाणा में यह आंकड़ा 1605 और यूपी में करीब 100 रहीं. ठंडी हवा सघन होती है और गर्म हवा की तुलना में धीमी गति से चलती है, इसलिए यह प्रदूषकों को फंसा लेती है और अपने साथ बहाकर दूर नहीं ले जाती. इसका मतलब यह हुआ कि गर्मियों की तुलना में सर्दियों में प्रदूषक अधिक समय तक बना वायु में बने रहते हैं.