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किसानों का घेरा vs बिजनेस कम्युनिटी... अचानक भगवंत मान सरकार ने 360 डिग्री यू-टर्न कैसे ले लिया?

एक समय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे. हालांकि अब उनके रुख में 360 डिग्री का बदलाव आया है. वह पंजाब के गृह मंत्री भी हैं और उन्होंने किसान आंदोलन को समाप्त कराने और किसानों को हिरासत में लेने का कड़ा फैसला लिया है.

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पंजाब सरकार के निर्देश पर पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर को प्रदर्शनकारी किसानों से खाली कराया. (PTI Photos)
पंजाब सरकार के निर्देश पर पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर को प्रदर्शनकारी किसानों से खाली कराया. (PTI Photos)

पंजाब सरकार ने राज्य की हरियाणा से लगने वाली सीमओं पर गत 13 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के खिलाफ अचानक अपना रुख बदलते हुए सख्ती दिखाई है. पंजाब पुलिस ने मान सरकार के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए न केवल जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर समेत अन्य शीर्ष किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया, बल्कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे धरना प्रदर्शन को भी उखाड़ दिया. 

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पंजाब सरकार पहले ही आंदोलनकारी किसानों पर सख्ती करने का संकेत दे चुकी थी. पंजाब पुलिस ने बुधवार को केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल के साथ चंडीगढ़ में हुई बैठक से बाहर आने के कुछ ही मिनटों बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर सहित किसान आंदोलन के शीर्ष नेतृत्व को हिरासत में ले लिया. इसके तुरंत बाद शंभू और खनौरी सीमाओं पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. देर रात कार्रवाई करते हुए पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों को हिरासत में ले लिया.

यह भी पढ़ें: शंभू-खनौरी बार्डर पर बुलडोजर वाला एक्शन, टेंट गिराए, किसानों को खदेड़ा... एक साल बाद अचानक एक्शन में आई पंजाब सरकार

प्रदर्शनकारी किसानों को बस में भरकर दोनों सीमाओं से कहीं और ले जाया गया. पुलिस ने स्थायी और अस्थायी ढांचों को बुलडोजर लगाकर हटाया और शंभू व खनौरी बॉर्डर को पूरी तरह खाली करा दिया. इसके बाद आंदोलनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सड़कों पर बनाए गई कंक्रीट बैरिकेडिंग को तोड़ने की कार्रवाई शुरू हुई. पंजाब और हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सड़कों को जल्द ही पूरी तरह खोल दिया जाएगा. किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अपनी अन्य मांगों को लेकर 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी सीमाओं पर धरने पर बैठे थे और तभी से अमृतसर-दिल्ली हाईवे पूरी तरह बंद था.

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किसान आंदोलन पर क्यों बदला मान सरकार का स्टैंड

एक समय पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे. हालांकि अब उनके रुख में 360 डिग्री का बदलाव आया है. वह पंजाब के गृह मंत्री भी हैं और उन्होंने किसान आंदोलन को समाप्त कराने और किसानों को हिरासत में लेने का कड़ा फैसला लिया है. इस कार्रवाई से राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार की भारी आलोचना हुई है. विपक्षी दल मान शासन पर निशाना साध रहे हैं. पंजाब के उद्योग मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंध ने कहा कि वे किसानों का सम्मान करते हैं, लेकिन प्रमुख सड़कों के अवरुद्ध होने से व्यापार प्रभावित हो रहा है. 

यह भी पढ़ें: 'किसान इस विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेंगे', शंभू-खनौरी बॉर्डर जबरन खाली कराने पर AAP पर भड़की कांग्रेस, जानें BJP-कांग्रेस-शिअद ने क्या कहा

मंत्री सोंध ने कहा, 'हमने हमेशा किसानों का सम्मान किया है और उनका समर्थन किया है, लेकिन राजमार्गों पर इन अवरोधों से व्यापार प्रभावित हो रहा है, इसलिए सड़कें खोलने की जरूरत है.' उल्लेखनीय है कि भगवंत मान सरकार और किसानों के बीच मतभेद इस महीने की शुरुआत से ही बढ़ने लगे थे. सबसे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 3 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के किसान नेताओं के साथ चल रही बैठक से वॉकआउट कर दिया. बाद में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य की सीमाओं पर सड़के अवरुद्ध कर धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि इससे पंजाब को आर्थिक नुकसान हो रहा है.

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व्यापारियों के हितों की चिंता और लुधियाना उपचुनाव

पंजाब में आम आदमी पार्टी नेताओं द्वारा दिए गए प्रत्येक बयान में अब इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि राजमार्गों के बंद होने से व्यापार को भारी नुकसान हो रहा है. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि AAP सरकार राज्य की बिजनेस कम्युनिटी के हितों को ध्यान में रख रही है. मान सरकार का तर्क है कि उसने राज्य के व्यापारियों और अर्थव्यवस्था के हित में शंभू और खनौरी बॉर्डर को प्रदर्शनकारी किसानों से खाली कराने का फैसला लिया है. 

आने वाले समय में लुधियाना पश्चिम सीट पर उपचुनाव होने वाला है. आम अदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में लुधियाना का दौरा किया था. यहां की इंडस्ट्री और बिजनेस कम्युनिटी ने दोनों को स्पष्ट रूप से बताया था कि किस तरह से किसान आंदोलन और राजमार्गों की नाकेबंदी व्यापार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है. सूत्रों का दावा है कि इसके बाद से ही राज्य सरकार ने किसान आंदोलन को खत्म करने और अवरुद्ध सड़कों को खोलने का मन बना लिया था.

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मान सरकार ने लिया बड़ा सियासी जोखिम

पंजाब सरकार का तर्क है कि उसने राज्य की अ​र्थव्यवस्था और व्यापार के हित में किसानों के आंदोलन को उखाड़ने का काम किया है. हालांकि, यह तो समय ही बताएगा कि मान सरकार का यह कदम सही है या कृषि आधारित राज्य के लिए उसका एक बड़ा दांव है. राज्य सरकार ने भले ही उद्योग और व्यापार को तरजी​ह दी है, लेकिन जिस तरह से किसानों को हिरासत में लिया गया और उनके आंदोलन को कुचला गया, उससे AAP सरकार के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है. क्योंकि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां दो साल बाद चुनाव होने हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए किसानों की नाराजगी से निपटने में मुश्किल हो सकती है. हालांकि, धरना प्रदर्शन को समाप्त कराकर AAP राज्य की गैर-किसान आबादी को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि राज्य सरकार को उनकी भी चिंता है.

कार्रवाई को लेकर AAP विपक्ष के निशाने पर 

किसानों पर कार्रवाई के बाद बुधवार को पंजाब सरकार को राजनीतिक आलोचनाएं झेलनी पड़ीं. कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला ने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को इस तरह निशाना बनाया जा रहा है. किसानों के मुद्दों को हल करने के बजाय, यह दुखद है कि AAP इस तरह से काम कर रही है.' शिअद सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, 'किसानों के साथ खड़े होने की बजाय सीएम भगवंत मान उन्हें उखाड़ फेंक रहे हैं. पंजाब पुलिस ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य की भी परवाह नहीं की.'

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