मोदी सरकार द्वारा कृषि बिल को रविवार को ध्वनिमत से राज्यसभा में पास करवा लिया गया है. इस बिल के खिलाफ देशभर के किसानों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने भी इस बिल के विरोध में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. कृषि बिल पर बात करने के लिए बादल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचे थे.
सुखबीर सिंह बादल और मंजिंदर सिंह सिरसा के नेतृत्व में अन्य नेता भी राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे थे. इनके साथ नरेश गुजराल भी मौजूद थे. राष्ट्रपति से मिलने के बाद सुखबीर सिंह बाद ने कहा, 'राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें इस विवादास्पद बिल को स्वीकार न करने के लिए कहा. बिल को चयन समिति के पास भेजा जाना चाहिए. विपक्ष की बात को भी राज्यसभा में सुनना चाहिए. हम लगातार कह रहे हैं कि ये बिल किसान विरोधी है. आप किसानों की प्रतिक्रिया देख सकते हो.'
भारतीय किसान यूनियन ने बिल के विरोध में किया प्रदर्शन
कृषि बिल के खिलाफ किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. संसद में पारित किये गये तीन कृषि बिलों के विरोध में आज उत्तर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने प्रदर्शन किया. मुजफ्फरनगर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बहुमत के नशे में चूर है.
राकेश टिकैत ने कहा कि देश की संसद के इतिहास में पहली दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि अन्नदाता से जुड़े तीन कृषि विधेयकों को पारित करते समय न तो कोई चर्चा की और न ही इस पर किसी सांसद को सवाल करने का अधिकार दिया गया. यह भारत के लोकतंत्र के अध्याय में काला दिन है.
राकेश टिकैत ने कहा कि अगर देश के सांसदों को सवाल पूछने का अधिकार नहीं है तो मोदी जी देश के लिए महामारी के समय नई संसद बनाकर जनता की कमाई का 900 करोड़ रुपया क्यों बर्बाद कर रहे हैं. आज देश की सरकार पीछे के रास्ते से किसानों के समर्थन मूल्य का अधिकार छीनना चाहती है, जिससे देश का किसान बर्बाद हो जायेगा.
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