पंजाब के फिरोजपुर जिले में हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां सरकारी अधिकारियों ने लाखों हड़पने के चक्कर में कागजों में एक फर्जी गांव बसा दिया, जिसके नाम पर केंद्र सरकार से 45 लाख की राशि ली गई. इसके बाद विकास कार्य कागजों में ही करा दिए. इस मामले का खुलासा सालों बाद आरटीआई के जरिए हुआ. जिला प्रशासन ने इस पूरे घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं.
जानकारी के अनुसार, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर फिरोजपुर के सरहद पर स्थित गांव 'नई गट्टी राजो के' के नाम पर एक फर्जी गांव 'न्यू गट्टी राजो के' कागजों में बसा दिया. इसके बाद इस फर्जी गांव के विकास कार्य कागजों में ही शुरू कर दिए गए और केंद्र सरकार से आई 45 लाख रुपए की राशि हड़प ली गई. यह मामला करीब पांच साल पहले का है, जब पंजाब में अकाली दल की सरकार थी.
एक व्यक्ति को इस घोटाले की भनक लगी तो उसने साल 2019 में आरटीआई डालकर संबंधित विभाग से जानकारी मांगी. इस पर उसे जान से मारने की धमकियां दी जाने लगीं. बावजूद इसके उस व्यक्ति ने हार नहीं मानी. अब इतने सालों बाद जब आरटीआई के जरिए जानकारी मिली तो सामने आया कि उस समय के बड़े अधिकारी और कर्मचारी कागजों में ही गांव बसाते रहे और कागजों में ही विकास कार्य करते रहे. इस दौरान केंद्र सरकार से आई करीब 45 लाख रुपए की राशि हड़प ली गई.
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इस घोटाले के बारे में जानकारी देते हुए ब्लॉक समिति के सदस्य गुरदेव सिंह ने बताया कि अधिकारियों ने लाखों की गड़बड़ी करने के लिए एक फर्जी गांव बना दिया और उसके विकास के नाम पर लाखों की राशि का घोटाला करके कागजों को दफ्तर की फाइलों में दबा दिया. सालों बाद अब सच्चाई सबके सामने है.
इस पूरे मामले के खुलासे के बाद एडीसी डेवलपमेंट लखविंदर सिंह रंधावा ने कहा कि इस मामले को लेकर जांच की जा रही है. जो भी अधिकारी या कर्मचारी इस गड़बड़ी में शामिल होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं, गांव के लोगों ने कहा कि फिरोजपुर में 'नई गट्टी राजो के' गांव तो है, लेकिन 'न्यू गट्टी' नाम का कोई गांव नहीं है और न ही उस समय उस गांव में किसी प्रकार का विकास कार्य हुआ.