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पंजाब में विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी, विपक्ष का हमला- कुर्सी बचाने के लिए ऐसा कर रहे CM

पंजाब कैबिनेट की बैठक में राज्य के दो विधायकों और एक कैबिनेट मंत्री के बेटों को सरकारी नौकरी मिलने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई. इसके बाद विपक्ष मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमलावर हो गया है.

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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल)
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पंजाब में विधायकों के बेटों को मिली सरकारी नौकरी
  • कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद बने इंस्पेक्टर
  • विपक्ष का सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला

पंजाब कांग्रेस में जारी अंतर-कलह के बीच शुक्रवार को हुई पंजाब कैबिनेट की बैठक में राज्य के दो विधायकों और एक कैबिनेट मंत्री के बेटों को सरकारी नौकरी मिलने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई. इसको लेकर राज्य में सियासी बवाल मच गया है. विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए इसे नौकरियों की बंदरबांट बताया है.

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राज्य के कैबिनेट मंत्री गुरप्रीत कांगड़ के दामाद को एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर नियुक्त किया गया है. वरिष्ठ कांग्रेस विधायक राकेश पांडे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति दी गई है. वहीं, सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भाई और कांग्रेस विधायक फतेह जंग बाजवा के बेटे को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर नियुक्त कर दिया गया.

इन तीनों ही नौकरियों को देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दलील दी कि इन परिवारों ने पंजाब के लिए कुर्बानी दी है और आतंकवाद के दौर में इन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है. उन्होंने कहा है कि चूंकि, ये लोग नेता भी थे, इसी वजह से पंजाब सरकार के नियमों के हिसाब से ये लोग नौकरी पाने के हकदार हैं.

सिर्फ 3 मिनट में प्रस्ताव पारित

सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे और विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर (ग्रेड-2) और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया. इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने सिर्फ तीन मिनट में पारित कर दिया.

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आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक विशेष मामले में मंत्रिमंडल की बैठक में अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में निरीक्षक (ग्रुप बी) और भीष्म पांडेय को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार (ग्रुप बी) के पद पर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है. सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा कि आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे.

इस पूरे मामले को लेकर अकाली दल ने तीखे तेवर अपनाए हैं. अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने राज्यपाल और राष्ट्रपति से इस पूरे मामले में दखल देने की मांग की और कहा कि ये सरकारी लूट हो रही है. कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज विधायकों को खुश करने और अपनी कुर्सी बचाने के लिए इस तरह से नौकरियां बांट रहे हैं और जो नौकरियां पंजाब के युवाओं को मिलनी चाहिए थी, वह विधायकों के बेटों को नियमों को ताक पर रखकर दी जा रही हैं.

 

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