गुरदासपुर लोकसभा सीट उपचुनाव के नतीजे से बीजेपी सकते में है. वो सीट जहां से अभिनेता विनोद खन्ना ने चार बार बीजेपी के लिए जीत का परचम फहराया, वहां आखिर पार्टी को कांग्रेस के हाथों इतनी करारी शिकस्त का सामना कैसे करना पड़ा?
गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार का जो सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है वो है बीजेपी और अकाली दल के दो नेताओं पर लगे दुष्कर्म के आरोप. इन दो नेताओं में से एक नाम उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया का भी था.
सलारिया के खिलाफ मुंबई की एक महिला ने शादी के नाम पर तीन दशक तक शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया था. इस महिला ने चुनाव प्रचार के दौरान ही स्वर्ण सलारिया के साथ कुछ निजी फोटोज भी सार्वजनिक कर दिए थे जिससे काफी बखेड़ा खड़ा हुआ.
दूसरी ओर गुरदासपुर से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ अकाली दल नेता और पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह का वीडियो भी चुनाव के दौरान ही सार्वजनिक हुआ. इस अकाली नेता पर आरोप लगाया गया कि उसने अपनी बेटी के साथ पढ़ने वाली विधवा युवती को नौकरी दिलाने के नाम पर वर्षों तक उसका शारीरिक शोषण किया. ऐन चुनाव प्रचार के दौरान इन दो नेताओं पर शारीरिक शोषण के आरोपों का फायदा कांग्रेस ने जमकर उठाया.
भाजपा नहीं बटोर पाई विनोद खन्ना के सांत्वना मत
भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली गुरदासपुर लोकसभा सीट पार्टी के हाथ से फिसल जाने के बाद अब आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कहा जा रहा है कि विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना को टिकट न देकर बड़ी संख्या में सांत्वना मतों को खो दिया. कविता खन्ना ने गुरदासपुर में बीजेपी की हार को दुखदाई और शर्मनाक बताया है.
वहीं गुरदासपुर से पराजित बीजेपी प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर उपचुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग का आरोप लगाया है. गुरदासपुर उपचुनाव नतीजों को लेकर चर्चा यही है कि बीजेपी किसी साफ छवि वाले प्रत्याशी को टिकट देती और अकाली दल से किनारा कर अकेले चुनाव लड़ती तो गुरदासपुर लोकसभा सीट उस की झोली से नहीं फिसलती.