ड्रग केस में फंसे मोगा के एसएसपी राजजीत सिंह और इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह के मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के चीफ डीजी सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि राजजीत सिंह मामले की जांच को भटकाए जाने के लिए अब पंजाब पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उन्हें इंदरजीत चड्डा की आत्महत्या के मामले में फंसाने की कोशिश में हैं.
डीजी सिद्धार्थ चटोपाध्याय की ओर से दायर अर्जी पर हाईकोर्ट ने इंदरजीत चड्डा की आत्महत्या मामले में चटोपाध्याय के खिलाफ की जा रही जांच पर रोक लगाते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया. इसके साथ ही इस मामले की जांच रिपोर्ट 23 अप्रैल को हाईकोर्ट में पेश किए जाने के आदेश दे दिए.
डीजीपी चटोपाध्याय ने हाईकोर्ट में पहले से ही चल रहे हजारों करोड़ रुपये के ड्रग रैकेट के मामले में अर्जी दायर कर जानकारी दी कि ड्रग केस में फंसे मोगा के एसएसपी राजजीत सिंह मामले में हाईकोर्ट ने ही चटोपाध्याय को आदेश दिए थे कि ड्रग रैकेट चलाने वाले और सरकारी अधिकारियों के नेक्सस की जांच करें.
1 फरवरी को शुरू की जांच
डीजी सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने बताया कि उन्होंने मामले की जांच शुरू की और पहले 1 फरवरी और फिर 15 सुनवाई पर इस मामले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपी थी. 13 मार्च को सुनवाई के दौरान चटोपाध्याय ने हाईकोर्ट से कहा था कि इस मामले की जांच में कई अन्य संवेदनशील इश्यू हैं जिन्हें वह ओपन कोर्ट में नहीं बल्कि सिर्फ हाईकोर्ट से ही सांझा कर सकते हैं.
इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस शेखर धवन ने अपने चेम्बर में डीजीपी से पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा की मौजूदगी में बात की थी. सिद्धार्थ चटोपाध्याय ने हाईकोर्ट को बताया कि ड्रग रैकेट चलाने वालों और सरकारी अधिकारियों के बीच की सांठगांठ की जांच के दौरान कई बड़े अधिकारियों तक पहुंच गई थी, जिसमे डीजीपी चटोपाध्याय ने दो वर्तमान डीजी स्तर के अधिकारियों का नाम भी लिया.
चटोपाध्याय ने बताया कि उनकी इस जांच को प्रभावित किए जाने के लिए इन अधिकारियों ने अब उन्हें इंदरजीत चड्डा की आत्महत्या के मामले में फंसाने की साजिश रचनी शुरू कर दी है. खालसा दीवान के पूर्व अध्यक्ष चरणजीत चड्डा के बेटे इंदरजीत चड्डा ने 3 जनवरी को आत्महत्या कर ली थी. उसने अपने सुसाइड नोट में अपनी आत्महत्या का कारण अपने पिता का स्कूल प्रिंसिपल के साथ आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के चलते हुई आत्मग्लानि को बताया था.
इंदरजीत चड्डा मामले की जांच के आईजीपी (क्राइम) एलके यादव की अध्यक्षता में गठित एसआईटी कर रही है. डीजीपी चटोपाध्याय ने बताया कि इंदरजीत चड्डा के सुसाइड नोट में उनका नाम तक नहीं था और न ही 3 जनवरी को इस मामले में अमृतसर एयरपोर्ट में दर्ज एफआईआर में ही उनका नाम है, लेकिन अब आईजी यादव अपने सीनियर अधिकारियों के इशारे में उन्हें इस मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन पर आरोप लगाया गया है कि इंदरजीत चड्डा ने अपनी डायरी में 10 अप्रैल और 29 मई को उनके बारे में लिखा है जब वह पंजाब के एनआरआई कमीशन में सदस्य थे. इस कमीशन के चेयरमैन हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरके गर्ग हैं.
डायरी में उन्होंने कमीशन के कुछ आदेशों का हवाला दिया है. यह आदेश एक महिला के घोमन की शिकायत पर ही दिए गए थे. डीजीपी चटोपाध्याय ने कहा कि 9 अगस्त 2016 को उनका कमीशन से तबादला कर दिया गया था.
कमीशन ने जो अंतिम आदेश दिए थे वह गत वर्ष 21 दिसंबर को दिए गए थे तब वह कमीशन के सदस्य ही नहीं थे, लेकिन अब जब से उन्होंने मोगा के एसएसपी राजजीत सिंह मामले की जांच शुरू की और इसकी स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी है. उसके बाद से ही उनकी जांच को भटकाने के लिए उन्हें इंदरजीत चड्डा की आत्महत्या के मामले में फंसाए जाने की कोशिश की जा रही है और उनसे लगातार पूछताछ कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा.