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इराक से अवशेष तो लौट आया पर पिता को नहीं देख पाई बेटी

पांच साल बाद जब कमलजीत का अवशेष गांव आया तो दुखभरा पल यह था कि न तो बाप अपनी बेटी को देख पाया और न ही बेटी अपने पापा का मुंह देख पाई.

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इराक में मारे गए भारतीयों के अवशेष
इराक में मारे गए भारतीयों के अवशेष

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इराक में ISIS के हाथों मारे गए तमाम शव सोमवार को भारत पहुंचे. इनमें 27 सिर्फ पंजाब के हैं, लेकिन गुरदासपुर के रूपोंवाली गांव के कमलजीत की कहानी सुनकर हर किसी की रूह कांप जाएगी.

इराक में आतंकियों के हाथों मारे गए 39 भारतीयों में से जिला गुरदासपुर से संबंधित पांच नौजवानों के अवशेष का उनके पैतृक गांवों में अंतिम संस्कार कर दिया गया. मगर जिला गुरदासपुर के गांव रूपोंवाली से संबंधित कमलजीत की कहानी बड़ी दुखभरी है. क्योंकि जीते जी न तो कमलजीत अपनी बेटी को देख पाया और न ही कमलजीत की बेटी हरगुन अपने पापा को देख पाई.

पांच साल बाद जब कमलजीत का अवशेष गांव आया तो दुखभरा पल था. दुःख भरे माहौल में मृतक कमलजीत की पत्नी हरप्रीत कौर ने बताया कि जब उनके पति इराक गए थे तब वह गर्भवती थीं. कमलजीत के जाने के बाद उसने बेटी हरगुन को जन्म दिया, लेकिन न तो बाप बेटी को देख पाया और न ही बेटी अपने बाप को देख पाई.

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पत्नी ने बताया के बेटी जब बड़ी हुई तो हर समय अपने बाप के बारे में पूछती रहती थी और हम उसे आश्वासन देते थे कि पापा जल्द वापस आएंगे, लेकिन अब तो वह उम्मीद भी टूट चुकी है.

वहीं कमलजीत के पिता हरभजन सिंह ने कहा कि वह नातिन में अब अपने बेटे को देखते है. अब उसी के सहारे अपनी बाकी की जिंदगी गुजारेंगे. पिता ने कहा कि बेटे से उम्मीद थी कि वह उनके बुढ़ापे का साथी बनेगा, लेकिन वह बात सच नहीं हो पाई.

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