पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ 14 मई को फेसबुक लाइव हुए और Good Luck.. GoodBye... कहकर कांग्रेस से अपना करीब 50 साल पुराना नाता तोड़ दिया. उन्होंने बताया कि उनकी तीन पीढ़ी कांग्रेस में रही लेकिन 'पंजे' का साथ छोड़कर उन्होंने पांचवें दिन 'कमल' हाथ में थाम लिया. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें गुरुवार को पार्टी में शामिल कर लिया.
पंजाब के दिग्गज नेताओं में शामिल सुनील जाखड़ लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने विपक्ष के नेता और पंजाब कांग्रेस के मुखिया जैसे बड़े पदों को संभाला है. सुनील जाखड़ मध्यप्रदेश के गवर्नर और सबसे लंबे समय तक लोकसभा अध्यक्ष रहे बलराम जाखड़ के छोटे बेटे हैं. आइए सुनील जाखड़ के राजनीतिक करियर पर डालते हैं एक नजर-
2001 में पहली बार लड़ा विधानसभा चुनाव
तीन बार विधायक रह चुके सुनील जाखड़ ने 2001 में पहली बार पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ा था. वह 2002 से 2017 तक अबोहर विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए. जाखड़ 2012-2017 के बीच पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे. इसके बाद वह 2017 से 2021 तक पंजाब कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष थे. जाखड़ ने विनोद खन्ना के निधन के बाद 2017 में गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा उपचुनाव भी जीता था.
सीएम पद के चेहरों में शामिल न करने से थे खफा
जाखड़ ने 2022 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा क्योंकि उन्होंने फरवरी 2022 में चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी थी. हालांकि इस साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री के संभावित उम्मीदवारों की सूची में से उनका नाम बाहर करने के बाद जाखड़ कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे थे.
अख्तियार कर लिया था पार्टी विरोधी रुख
- जाखड़ ने अक्टूबर 2021 में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में जगदीश टाइटलर्स की नियुक्ति का भी विरोध किया था.
- 5 जनवरी को फिरोजपुर में प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के बाद जाखड़ ने अपनी ही सरकार की आलोचना की थी.
- कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने के बाद उन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.
AICC की नोटिस से हुए थे बहुत आहत
AICC के अनुशासनात्मक पैनल ने जाखड़ को पार्टी विरोधी बयानबाजी करने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था, जिससे वह बहुत आहत हुए थे. उन्होंने नोटिस जारी करने को अपमान करार दिया था. कांग्रेस की अनुशासन समिति ने 26 अप्रैल को जाखड़ के निलंबन की सिफारिश की थी. इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने 14 मई को एक फेसबुक लाइव वीडियो में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था.