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भारत-पाकिस्तान सीमा पर BSF के जवानों ने दीप जलाकर मनाई दिवाली, आतिशबाजी भी की

बॉर्डर पर दिवाली में इन BSF के जवानों के साथ न तो उनका परिवार होता है...न ही बीवी-बच्चे. इनके साथ सिर्फ मुल्क की हिफाजत का फर्ज होता है. पर इन्हीं चुनोतियों के बीच सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करते हुए ये शूरवीर खुशियों के दीप को रोशन करते हैं.

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सीमा पर दीप जलाते बीएसएफ के जवान
सीमा पर दीप जलाते बीएसएफ के जवान

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इस देश की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जब निगहबान हों ये आंखें...जी हां भारत-पाकिस्तान सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए हमारे वीर जवान हमेशा मुस्तैद रहते हैं. उनकी दिवाली और धनतेरस भी सीमा पर ही मनता है. इस बार भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा बल के जवान अपने फर्ज को निभाने के साथ ही दिवाली का जश्न मना रहे हैं.

पंजाब से सटे इंटरनेशनल बॉर्डर पर बीएसएफ के जवानों ने दीप जलाए और आतिशबाजी की. मोदी सरकार भी जवानों के मनोबल को बढ़ाने के लिए उनके साथ दिवाली मनाने का फैसला किया है. वह इस बार भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के साथ दिवाली मनाएंगे.

ये जांबाज जवान सरहद की सुरक्षा के साथ ही दिवाली मना रहे हैं. हालांकि यहां त्योहार में उनके साथ उनका परिवार नहीं है. आजतक की टीम ने पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा (पुलमोरा बीओपी) पर तैनात बीएसएफ के जांबाज जवानों के जज्बे को सलाम किया. देश के आखिरी किनारों पर जहां सरहदें खत्म हो जाती हैं, वहां दिवाली कैसी होती है...इन जांबाजों से पूछो. ये तस्वीरें तो सिर्फ इसकी बानगी हैं.

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बॉर्डर पर दिवाली में इन BSF के जवानों के साथ न तो उनका परिवार होता है...न ही बीवी-बच्चे. इनके साथ सिर्फ मुल्क की हिफाजत का फर्ज होता है. पर इन्हीं चुनोतियों के बीच सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करते हुए ये शूरवीर खुशियों के दीप को रोशन करते हैं. ये जवान देश के फॉरवर्ड पोजीशन में तैनात रहकर दिन-रात सरहद की सुरक्षा में लगे रहते हैं. इनका सिर्फ एक ही मकसद होता है कि देश के अंदर सभी अमन चैन से दिवाली और अन्य त्योहार मना सकें.

पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रहे सीजफायर उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब देने और आतंकी घुसपैठ को विफल करने के लिए ये जवान अपनी जान की बाजी लगा देते हैं. इन वीर जवानों की वजह से हम शहरों और गांवों में अपने पावन त्योहार को अमन चैन से मना पाते हैं. हालांकि इन जवानों की दिवाली और होली सरहद पर ही मनती है. इस बार भी इन जवानों ने सीमा पर दीप जलाए और मंदिर में पूजा अर्चना की. इन जवानों का कहना है कि घर की याद तो बहुत आती है, पर सरहद की सुरक्षा सर्वोपरि है.

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