पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने किसानों के प्रति सख्त रवैया अपनाते हुए बड़ा कदम उठाया है. बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक के तुरंत बाद ही किसान नेताओं जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर को हिरासत में ले लिया गया. शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को खत्म करने के लिए बुलडोजर चलाए गए, टेंट तोड़े गए और बैरिकेड्स हटा दिए गए. किसान 13 फरवरी 2023 से यहां धरना देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे थे.
एक समय पर, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. हालांकि, अब उन्होंने यू-टर्न ले लिया है, और हाल के हफ्तों में इस बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
इस कार्रवाई का बचाव करते हुए पंजाब के उद्योग मंत्री तरूणप्रीत सिंह सौंध ने कहा, "हम हमेशा किसानों का सम्मान करते आए हैं, लेकिन हाईवे बंद होने से व्यापार प्रभावित हो रहा था, इसलिए हमें रास्ते खोलने पड़े. पिछले एक साल में पंजाब को इन दो मुख्य राजमार्गों के बंद होने से भारी नुकसान हुआ है, इसलिए हमें किसानों को धरने से हटाना पड़ा."
पंजाब की भगवंत मान सरकार और किसानों के बीच टकराव मार्च की शुरुआत में तब बढ़ने लगा, जब सीएम मान संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ बैठक से बाहर चले गए और बाद में कहा कि धरने की अनुमति नहीं दी जाएगी, क्योंकि वे पंजाब को पीछे ले जा रहे हैं.
राज्य सरकार के इस कदम की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है. कांग्रेस नेता परगट सिंह ने कहा, "AAP की यह कार्रवाई इस बात की पुष्टि करती है कि यह भाजपा की बी-टीम है. भाजपा किसानों के खिलाफ जो नहीं कर सकी, वह भगवंत मान के जरिए कर दिखाया. जब बैठकें चल रही थीं, तब भगवंत मान कार्रवाई करने की जल्दी में क्यों थे? किसानों ने राजमार्गों को अवरुद्ध नहीं किया था, बल्कि हरियाणा पुलिस ने किया था."
भाजपा पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी AAP सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "पंजाब सरकार ने किसानों को धरने पर बैठने दिया और फिर उद्योगपतियों को खुश करने के लिए उन्हें हटा दिया. AAP सरकार ने किसानों का इस्तेमाल किया."
व्यापारियों ने सरकार के फैसले का किया स्वागत
इस मुद्दे पर AAP के हर बयान में अब इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि राजमार्गों के बंद होने से कारोबार प्रभावित हुआ है, जिसका मतलब है कि किसान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ रुख में यह स्पष्ट बदलाव राज्य की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण है. AAP सरकार के इस फैसले का पंजाब के व्यापारियों और उद्योगपतियों ने स्वागत किया है. छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े उद्योगपतियों तक, सभी को लंबे समय से हो रहे घाटे से राहत मिलने की उम्मीद है.
शंभू सीमा पर एक छोटे व्यापारी उधम सिंह ने दुख जताया कि कैसे एक साल से सीमा पर ढाबों और छोटी दुकानों में लगभग कोई कारोबार नहीं हुआ है. अंबाला के एक ट्रांसपोर्टर सुरेंद्र, जिनके शंभू सीमा के पास गोदाम भी हैं, ने आजतक को बताया, “हमें बहुत बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि एक साल से अधिक समय तक सड़क अवरुद्ध रही. इसने हमारे व्यवसायों को बुरी तरह प्रभावित किया. हमारा व्यवसाय लगभग शून्य है.”
इलाहाबाद के सूरज दुबे, जो शंभू सीमा के पास एक कंपनी में काम करते हैं, ने भी इसी तरह कहा. उन्होंने बताया, “विक्रेता और परिवहन सभी प्रभावित हुए हैं. उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं होता. यह एक साल से चल रहा है. मुझे यकीन है कि ऐसा नहीं होता. इसका समाधान निकाला जाना चाहिए था.”
एक अन्य छोटे व्यवसायी पवन ने कहा, "कंपनियां पंजाब से हरियाणा भाग रही हैं. पंजाब शून्य हो गया है."
लुधियाना उपचुनाव भी बड़ा कारण?
AAP सरकार के इस बदले हुए रुख के पीछे लुधियाना पश्चिम उपचुनाव भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है. हाल ही में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की उद्योगपतियों के साथ हुई बैठक में व्यापारियों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किसानों के धरने से व्यापार और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है. सूत्रों ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार के बदलते रुख के लिए यह काफी हद तक जिम्मेदार है.
लुधियाना के उद्योगपतियों ने इस फैसले का स्वागत किया है. MSME प्रतिनिधि बदिश जिंदल ने कहा कि यह कार्रवाई पहले ही हो जानी चाहिए थी. उन्होंने जोर देकर कहा कि सीमा बंद होने के कारण पंजाब के उद्योगों को हर महीने 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है, जिससे लागत बढ़ रही है. कुछ उद्योग पहले ही दूसरे राज्यों में चले गए थे, जबकि अन्य जाने की तैयारी कर रहे थे. अब, सीमा फिर से खुलने से उद्योगों को राहत मिलने की संभावना है और पलायन रुकेगा.
इसी तरह, होजरी और कपड़ा उद्योग के प्रतिनिधियों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. निटवियर क्लब के चेयरमैन विनोद थापर ने बताया कि बॉर्डर बंद होने की वजह से लुधियाना-दिल्ली रूट, जो आमतौर पर पांच घंटे का होता है, 10 घंटे में पूरा हो गया, जिससे व्यापारी पंजाब आने से हतोत्साहित हो गए और कारोबार आधा हो गया. उन्होंने कहा कि व्यापारी अब राहत महसूस कर रहे हैं और कारोबार सामान्य होने को लेकर आशावादी हैं.
अंबाला के व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कान
शंभू बॉर्डर खुलने की खबर से अंबाला के व्यापारियों के चेहरे पर भी मुस्कान लौट आई है. एक कपड़ा व्यापारी ने कहा, "यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि उन्हें कितना नुकसान हुआ है और इसकी भरपाई में कितना समय लगेगा. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि बॉर्डर खुलने से उनका कारोबार फिर से शुरू हो जाएगा."
अंबाला के एक अन्य कपड़ा व्यापारी गौरव ने कहा, "पिछले एक साल से बॉर्डर बंद होने के कारण यह थोक बाजार घाटे में चल रहा है. अब बॉर्डर खुलने की खबर से दुकानदारों में खुशी की लहर दौड़ गई है. फिलहाल हमें उम्मीद है कि पंजाब से ग्राहक अंबाला लौटेंगे और मुनाफा लेकर आएंगे."
हालांकि व्यापारी अभी खुश दिख रहे हैं, लेकिन लंबे समय में आप सरकार के लिए यह कैसा रहेगा, यह देखना बाकी है, क्योंकि चुनाव में अभी दो साल बाकी हैं.
विपक्ष के निशाने पर आई भगवंत मान सरकार
किसानों के खिलाफ कार्रवाई के बाद आप सरकार को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सांसद गुरजीत औजला ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों को इस तरह निशाना बनाया जा रहा है. किसानों के मुद्दों को हल करने के बजाय, यह दुखद है कि आप इस तरह से काम कर रही है."
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, "किसानों के साथ खड़े होने के बजाय, सीएम भगवंत मान उन्हें उखाड़ फेंक रहे हैं. पुलिस ने किसान नेता जगजीत दल्लेवाल के स्वास्थ्य की भी कभी परवाह नहीं की."
वहीं विपक्ष के हमलों के जवाब में पंजाब के उद्योग मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंध ने कहा, "औद्योगिक घरानों ने हमें अपने नुकसान के बारे में बताया. कई नई कंपनियां और उद्योग पंजाब में निवेश करना चाहते थे, लेकिन राजमार्ग बंद होना एक बड़ा मुद्दा था. हम किसानों के साथ हैं और उनका बहुत सम्मान करते हैं. लेकिन हम एक राज्य को बंद नहीं होने दे सकते. विपक्ष आज बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है, लेकिन यह वही लोग हैं जिन्होंने बड़ा नुकसान पहुंचाया है. हमें राज्य को आगे बढ़ाना है और यह राज्य की गरिमा के लिए है कि इसे खोला जाए. उद्योग घाटे और उच्च परिवहन दरों का सामना कर रहे थे."
कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने अलग राह अपनाते हुए कहा, "नशे के खिलाफ लड़ाई में पूरा पंजाब एकजुट है. नशाखोरी को केवल तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करके खत्म नहीं किया जा सकता, युवाओं को सही दिशा में ले जाना जरूरी है. नशे की समस्या बेरोजगारी से जुड़ी है. युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए रोजगार मुहैया कराना जरूरी है. सड़कें जाम होने से पंजाब का व्यापार और उद्योग प्रभावित हुआ है."