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कैप्टन अमरिंदर सिंह के निशाने पर बेअदबी मामले में आवाज उठाने वाले कांग्रेस नेता!

कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद से बैकफुट पर है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कोटकपुरा में फायरिंग से जुड़े चार साल पुराने मामले में सरकार की अब तक की जांच को खारिज कर दिया. दूसरी ओर पार्टी में एक विधायक ने कैप्टन पर आरोप लगाया है.

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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (File-AFP)
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (File-AFP)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जालंधर कैंट से MLA परगट सिंह ने धमकाने का आरोप लगाया
  • मंत्री चरणजीत के खिलाफ खुला पुराना ‘Mee Too’ केस
  • सिद्धू को कैप्टन दे चुके हैं अपने खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती

पंजाब में कांग्रेस के अंदर से ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बाद पूर्व ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी और जालंधर कैंट से कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने मुख्यमंत्री को आरोपों के घेरे में खड़ा किया है.

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पंजाब के टेक्नीकल एजुकेशन मंत्री चरणजीत सिंह भी आज मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे, लेकिन पार्टी हाईकमान की ओर से पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने उनसे बात की. इसके बाद चन्नी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द करने का फैसला किया. 

इससे पहले सोमवार को परगट सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि उन्हें मुख्यमंत्री के सलाहकार ने राज्य सरकार के खिलाफ नहीं बोलने की धमकी दी है. दरअसल पंजाब में कांग्रेस में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधी समझे जाने वाले नेता ये आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. इनके मुताबिक ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने बेअदबी से जुड़े मामलों में असली दोषियों के चेहरे सामने लाने में कैप्टन सरकार के अब तक नाकाम रहने पर सवाल उठाए थे. हाल में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से गठित स्पेशल जांच टीम (SIT) की अब तक की रिपोर्ट को खारिज कर दिया.  

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चरणजीत सिंह और परगट सिंह (फाइल)
चरणजीत सिंह और परगट सिंह (फाइल)

परगट सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार संदीप संधू ने गुरुवार रात को मुझे कॉल किया और कहा कि हमने तुम्हारे खिलाफ पेपर इकट्ठा कर लिए हैं. मैंने कैप्टन से इस बारे में जानने की कोशिश की. मुझे ऐसा सुनना बहुत बुरा लगा.”

सिद्धू और निजी सहायक समेत कई पर जांच
परगट सिंह ऐसे पहले नेता नहीं है जिन्हें ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है. नवजोत सिंह सिद्धू और निजी सहायक समेत उनके करीबियों के खिलाफ विजिलेंस जांच खोली गई. ये घटनाक्रम सिद्धू के अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बोलने पर हुआ. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को खुली चुनौती भी दी कि वो उनके खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ कर दिखाएं.  

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दिलचस्प है कि पंजाब महिला आयोग ने भी राज्य सरकार से कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ दो साल पुराने ‘Me Too’  केस में रिपोर्ट मांगी है. चन्नी पर एक महिला IAS अधिकारी को अवांछित मैसेज भेजने के आरोप लगे थे.

चरणजीत सिंह चन्नी और परगट सिंह ने हाल में कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों की बैठक में हिस्सा लिया था. बताया जाता है कि इस बैठक में राज्य के कुछ मंत्री भी मौजूद रहे. ये बैठक कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कोटकपुरा पुलिस फायरिंग और बेअदबी केसों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बढ़ाने को बुलाई गई थी.

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इस बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह कैम्प से जुड़े माने जाने वाले चार मंत्रियों ने कांग्रेस हाईकमान से नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. 

बैकफुट पर अमरिंदर सिंह सरकार
कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद से बैकफुट पर है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कोटकपुरा में फायरिंग से जुड़े चार साल पुराने मामले में सरकार की अब तक की जांच को खारिज कर दिया. 

9 अप्रैल 2021 को दिए आदेश में राज्य सरकार को आदेश दिया कि वो विशेष जांच टीम का गठन दोबारा करे और इसमें पहले जांच अधिकारी रहे कुंवर विजय प्रताप सिंह को शामिल न किया जाए. सिंह को कैप्टन का करीबी माना जाता है जिन्होंने बाद में इस्तीफा दे दिया.  

राज्य सरकार ने नई SIT का गठन किया. इसने अस्तित्व में आने के कुछ दिन बाद ही बेअदबी मामले के 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

 

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