नामी मनोवैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी ने न केवल लोगों के शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाला है. मनोवैज्ञानिकों और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एक ऐसे समय में जब कोरोना वायरस महामारी की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, बीमारी से निपटने के लिए बेहतर मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक संतुलन बेहद जरूरी है.
नेशनल एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस इंडिया, ब्रिक्स इंटरनेशनल फोरम, इथोपिया के अरबा मिंच विश्वविद्यालय और जैक्स फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय मनोवैज्ञानिक कॉन्फ्रेंस के दौरान कोरोना वायरस महामारी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को लेकर 200 शोध पत्र पढ़े गए.
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने महामारी से बचने के लिए बताई ये बात
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों ने कोविड-19 जैसी महामारी से बचने के लिए मनोविज्ञान, भावनात्मक बुद्धिमता और सामाजिक शिक्षा की भूमिका को बेहद जरूरी बताया है. कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव पर आयोजित कार्यक्रम ने भारतीय और पाकिस्तानी मनोवैज्ञानिकों को करीब लाया है.
14 देशों के मनोवैज्ञानिकों ने भाग लिया
दिलचस्प बात है कि कोरोना वायरस महामारी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्प्रभावों को लेकर आयोजित की गई अंतरराष्ट्रीय मनोविज्ञान कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के जाने-माने मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर अफसीन मसूद और शोधकर्ता भी शामिल हुए. यूं तो इस विज्ञान कॉन्फ्रेंस में 14 देशों के मनोवैज्ञानिकों ने भाग लिया लेकिन पिछले 6 सालों से आयोजकों के निमंत्रण को नजरअंदाज कर रहे पाकिस्तानी मनोवैज्ञानिक भी अबकी बार खुद को रोक नहीं पाए.
पाकिस्तान के मनोवैज्ञानिक बेहद उत्साहित
नेशनल एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस के अध्यक्ष और पंजाब विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ. रोशन लाल दहिया ने बताया कि पाकिस्तान के मनोवैज्ञानिक अपने देश में किए गए मनोवैज्ञानिक शोध को लेकर बेहद उत्साहित थे और उन्होंने खुलकर भारतीय शोधकर्ताओं के साथ अपना अनुभव साझा किया. दो दिवसीय मनोवैज्ञानिक साइंस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रोफेसर आरके मित्तल, अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के डॉ. ली. ए. थिओडोर, प्रोफेसर उपेंद्र धर, डॉ. बाल नागराओ रक्षाशे आदि प्रमुख वक्ताओं ने कोरोना वायरस महामारी में मनोविज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई के डॉ. बाल नागराओ रक्षाशे ने कहा कि ज्यादा जनसंख्या वाले देश भारत में मानसिक स्वास्थ्य को ज्यादातर तरजीह देने की जरूरत है. क्योंकि, देश में हंगर इंडेक्स, हैप्पीनेस इंडेक्स और सामाजिक अन्याय के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. नेशनल एसोसिएशन ऑफ साइकोलॉजिकल साइंस ने देश में साइकोलॉजी रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की मांग की है ताकि देश के लोगों का मानसिक स्वास्थ्य मजबूत हो.