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पंजाब में मंत्रियों की तनख्‍वाह हुई दोगुनी, कर्मचारियों को सैलरी के लाले

अपना हाथ जगननाथ वाली कहावत आजकल पंजाब में बिलकुल फिट बैठ रही है. यहां पर सरकार के पास छोटे कर्मचारियों की तनख्वाह देने के पैसे भले ही नहीं हो लेकिन सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों कि तनख्वाह और सुख सुविधाओं का पूरा ख्‍याल रख रही है.

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प्रकाश सिंह बादल
प्रकाश सिंह बादल

अपना हाथ जगन्नाथ वाली कहावत आजकल पंजाब में बिल्‍कुल फिट बैठ रही है. यहां पर सरकार के पास छोटे कर्मचारियों की तनख्वाह देने के पैसे भले ही नहीं हों लेकिन सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों की तनख्वाह और सुख सुविधाओं का पूरा ख्‍याल रख रही है.

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मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की तनख्वाह में भी एक ही बार 100 फीसदी की वृद्धि कर दी गई है. यह बात अलग है कि पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों के जनवरी से जुलाई तक के महंगाई भत्ते की अदायगी पर मौन धारण किए हुए है. इसे लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है.

पंजाब में सरकारी कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लाले पड़ते रहते हैं, महंगाई और तमाम भत्तों की तो बात तो छोड़ ही दीजिए.

मुख्यमंत्री बादल राज्‍य में सेवा की बात करते हैं लेकिन जब बात तनख्वाह की आती है तो वे सेवा भूल जाते हैं. कर्मचारी तनख्वाह बढ़वाने के लिए धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अपने और अपने मंत्रियों और विधायकों की तनख्‍वाह बढ़ाने में व्‍यस्‍त रहते हैं.

मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की तनख्‍वाह 50 हजार रुपये से बढ़कर एक लाख रुपये हो गई है. स्पीकर और मंत्रियों कि तनख्वाह अब तीस हजार से बढ़ाकर पचास हजार रुपये कर दी गई है. इसी तरह से सभी विधायकों कि सैलरी भी 57 फीसदी बढ़ाई गई है. इससे करीब 6 करोड़ प्रति साल का अतिरिक्त भार सरकारी खजाने पर पड़ेगा.

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पंजाब सरकार पर 93000 करोड़ रुपये का कर्ज पहले से है. हर महीने कर्मचारियों की तनख्‍वाह और पेंशन पर कुल 1680 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च होता है, जबकि कर और दूसरे मदों से सरकार की कुल आय महज 900 करोड़ रुपये है. हर महीने 700 करोड़ रुपया कहां से लाया जाए सरकार इसी पसोपेश में है.

सरकार चला रहे दोनों बाप-बेटे पर फिजूलखर्ची के कई और इल्‍जाम भी हैं. पंजाब की खराब वित्तीय हालत होने के बावजूद पिछले छह सालों में मुख्यमंत्री और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल जो कि उप मुख्यमंत्री हैं, ने दो बार अपनी लग्‍‍जरी गाड़ियां बदलीं. वे तीसरी बार फिर से अपनी गाड़ियों का काफिला बदलने जा रहे हैं.

पंजाब सरकार मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल के लिए दो नई सुपर लक्‍जरी गाड़ियां खरीदने जा रही है. इसके लिए बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज और ऑडी जैसी वाहन निर्माता कंपनियों से बात चल रही है. बुलेट प्रूफ होने के बाद प्रत्येक कार की कीमत 7 करोड़ रुपये होगी.

यह गाड़ियां 2011 में डेढ़ करोड़ रुपये प्रत्येक की कीमत पर खरीदी गई 8 लैंड क्रूजर गाड़ियों को बदलेंगी. इससे पहले 2007 में मुख्यमंत्री के लिए 8 मित्‍सुबिशी मोंटेरो गाड़ियां 56 लाख रुपये प्रति गाड़ी की लागत से खरीदी गई थीं.

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खास बात यह है कि बाप और बेटा दोनों के काफिले में 51 गाड़ियां हैं. इनमें 32 गाड़ियां प्रकाश सिंह बादल के काफिले में और 19 गाड़ियां सुखबीर सिंह बादल के काफिले के लिए हैं. बाकी परिवार के लिए गाड़ियों की संख्या अलग से है. यही नहीं दोनों मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के लिए 36 करोड़ रुपये की कीमत का एक हेलिकॉप्टर और 70 करोड़ रुपये की कीमत का फिक्स्ड विंग हवाई जहाज खरीदा जा रहा है.

अब जरा उन कर्मचारियों की भी बात सुन लीजिये जो बेबस और लाचार हैं. कर्मचारी यूनियन के नेता करतार सिंह कहते हैं, 'कर्मचारियों कि तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है, हम लगातार लड़ते रहते हैं. हमने मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया है कि हमारा तीस फीसदी बकाया एरियर जल्द दिया जाए, जो पेंडिंग है. इसके अलावा हमारे कई सारे बिल पेडिंग हैं. किसी को बेटी कि शादी करनी है तो किसी को कुछ काम करने हैं. हम बहुत मायूस हैं.'

कर्मचारी यूनियन के नेता करनैल सिंह सैनी कहते हैं, 'पंजाब सरकार ने जो फैसला लिया है वह बिलकुल गलत है. सरकार ने फैसला अपने ही पक्ष में लिया है. मुख्‍यमंत्री कहते हैं कि वे राज नहीं सेवा करते हैं. वे सेवा मुफ्त में क्यूं नहीं कर सकते, जबकि इतनी सुविधाएं भी लेते हैं.

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