नवजोत सिंह सिद्धू के फ्रंट आवाज-ए-पंजाब का भविष्य क्या होगा, क्या ये फ्रंट कांग्रेस से हाथ मिलाने वाला है या फिर आम आदमी पार्टी से? इन तमाम सवालों को लेकर आवाज-ए-पंजाब के नेताओं की गुरुवार को दिल्ली में सिद्धू के घर में 3 घंटे की मीटिंग हुई. इस मीटिंग के बाद भी पंजाब चुनाव को लेकर आवाज-ए-पंजाब मोर्चा फैसला नहीं ले पाया.
मीटिंग के दौरान सिद्धू ने फैसले के लिए 4-5 दिन का और समय मांगा है. मीटिंग में सिद्धू के साथ लुधियाना के निर्दलीय विधायक बैंस ब्रदर्स और जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह भी शामिल थे. परगट सिंह ने बताया कि सिद्धू ने फैसले के लिए 4-5 दिन का और समय मांगा है, जिससे कि पंजाब के हित में फैसला लेकर काम किया जा सके. उन्होंने कहा, क्योंकि यह मामला पंजाब और पंजाब के लोगों के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है, इसलिए हम जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं.
8 सितंबर को सिद्धू, बैंस ब्रदर्स परगट सिंह ने चंडीगढ़ में आवाज-ए-पंजाब मोर्चा बनाने का ऐलान किया था. उसी दिन से ही यह मोर्चा किस पार्टी के साथ मिलकर या समर्थन देकर चुनाव लड़ेगा, इस बात पर सबकी नजरें लगी हुई हैं. परगट सिंह ने साफ किया कि सिद्धू की राहुल गांधी से मुलाकात हो चुकी है और कांग्रेस आलाकमान के साथ भी सिद्धू की बातचीत चल रही है. आम आदमी पार्टी से भी बातचीत के तमाम दरवाजे खुले हैं. आवाज-ए-पंजाब के अगले कदम का फैसला लेने के तमाम अधिकार नवजोत सिंह सिद्धू को दे दिए गये हैं.
एक वक्त में कांग्रेस को भ्रष्ट बताने वाले सिद्धू और आवाज-ए-पंजाब के नेता अब किस तरह कांग्रेस के साथ जाने को तैयार हैं इस पर परगट सिंह और लुधियाना के निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने कहा कि पंजाब में बादल परिवार और अकाली दल-बीजेपी गठबंधन को रोकने के लिए वो किसी के भी साथ जाने को तैयार हैं. भले ही इस वजह से लोग उन्हें मौकापरस्त या अवसरवादी राजनीतिज्ञ ही क्यूं ना करार दे दें.