अपने पाकिस्तान दौरे को लेकर आलोचना का सामना कर रहे पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर कहा कि बाजवा ने मुझे कहा था कि हम शांति चाहते हैं. जिसके बाद मैं भावुक हो गया इसलिए गले लगा. उन्होंने कहा कि लेकिन जिस तरह मेरी यात्रा की आलोचना की गई उससे मैं दुखी हूं.
सिद्धू ने कहा कि इससे पहले भी शांति को लेकर कई तरह के प्रयास किए गए थे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी दोस्ती बस लेकर लाहौर गए थे, उन्होंने मुशर्रफ को भारत बुलाया था. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया था. PM मोदी तो अचानक लाहौर भी चले गए थे. सिद्धू ने कहा कि मेरी यात्रा किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं थी, इसलिए इस प्रकार की आलोचना करना गलत है.
सिद्धू ने कहा कि मुझे 10 बार न्योता मिला था, जिसके बाद मैंने भारत सरकार से परमिशन ली थी. पहले मुझे इजाजत नहीं दी गई थी, मैं इंतजार कर रहा था. दो दिन बाद जब मुझे पाकिस्तानी सरकार ने वीज़ा दिया तो सुषमा स्वराज जी ने मुझे खुद फोन कर सूचना दी कि मुझे परमिशन दे दी गई है.
पहले क्या दी थी सफाई?
पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पाक आर्मी चीफ से गले मिलने की बात पर सफाई देते हुए कहा, 'अगर कोई (पाक आर्मी चीफ बाजवा) आपके पास आए और ये कहे कि हमारी संस्कृति एक ही है और हम गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर करतारपुर बॉर्डर खोल देंगे, तो ऐसे में मैं क्या करता?'
BJP ने खोला था सिद्धू के खिलाफ मोर्चा
आपको बता दें कि सिद्धू के बाजवा से गले मिलने के बाद इस मुद्दे पर राजनीति काफी तेज हुई थी. भारतीय जनता पार्टी ने सिद्धू पर सवाल दागे थे और कांग्रेस पार्टी से भी इस पर सफाई मांगी थी. जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी बाजवा से गले मिलने की घटना को गलत बताया था.