पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होने और भाजपा में वापस जाने की अफवाहों पर विराम देते हुए संकेत दिया कि वह फिलहाल न तो कांग्रेस को अलविदा कह रहे हैं और न ही उनकी दिलचस्पी आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में है. नवजोत सिद्धू रविवार को पटियाला में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब सरकार की कारगुजारियों और फिर से कैप्टन की कैबिनेट का हिस्सा बनने वाले सवालों पर जवाब देने से कतराते रहे.
सिद्धू ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पंजाब सरकार के फैसलों पर मैं नहीं बल्कि पंजाब की जनता अपना फैसला देगी. अगर फैसले अच्छे थे तो सरकार को उसका फायदा मिलेगा, वापसी भी होगी. मैं तो कांग्रेस का वफादार सिपाही हूं. दरअसल, सिद्धू ने रविवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए एक तीर चला कर दो निशाने साधने की कोशिश की.
सिद्धू ने एक तरफ जहां खुद को कांग्रेस का वफादार सिपाही बता कर खुद को पार्टी से जोड़ने के संकेत दिए वहीं अकाली दल से अलग होकर सिद्धू की घर वापसी की राह देख रहे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भी साफ-साफ बता दिया कि फिलहाल वह पंजाब में भाजपा की डूबती कश्ती में सवार होने को तैयार नहीं हैं. माना जा रहा है कि कृषि कानूनों पर छिड़े विवाद के चलते पंजाब में भारतीय जनता पार्टी हाशिए पर है. सिद्धू भाजपा की डूबती कश्ती में सवार होकर कोई भी जोखिम मोल नहीं लेना चाहते.
आम आदमी पार्टी का घेराव
पिछले कई दिनों से आम आदमी पार्टी के कई नेता भी सिद्धू को पार्टी में शामिल करवाने के लिए उनपर डोरे डालते आ रहे हैं. सिद्धू ने 26 लाख नौकरियों के वायदे पर अप्रत्यक्ष रूप से अरविंद केजरीवाल की आलोचना करके आम आदमी पार्टी को भी अपना जवाब दे दिया है. उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा इसलिए छोड़ी क्योंकि मुझे 'डाकुओं' के लिए प्रचार करने को कहा जा रहा था. उसके बाद मुझे पंजाब छोड़ने के लिए कहा गया. उन्होंने उसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का उदाहरण देते हुए कहा कि हालात यहां तक खराब हो गए हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अपने हेलीकॉप्टर तक जमीन पर उतारने की हिम्मत नहीं जुटा सके.
'किसानों को भड़काया जा रहा है'
सिद्धू ने पूछा, 'किसानों को भड़काया जा रहा है. उनके खिलाफ संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है. अब शांतिप्रिय तरीके से प्रदर्शन करना भी अपराध बन गया है. क्या यही कोऑपरेटिव फेडरलिज्म है?' इससे पहले कृषि कानूनों पर छिड़े विवाद को लेकर सिद्धू ने जमकर केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भाजपा विवादित कृषि कानून लागू करके एक तरफ जहां दशकों पुराने किसान और आढ़तियों के रिश्ते तोड़ना चाहती है. वहीं फसलों के प्रबंधन में जुटी एपीएमसी संस्थाओं को भी ध्वस्त करने पर आमादा है.
कृषि क़ानून से पंजाब में शांति भंग
सिद्धू ने कहा कि इन कृषि कानूनों को इसलिए "काले कानून" कहा जा रहा है क्योंकि इनके अस्तित्व में आने के बाद पंजाब में शांति भंग हो रही है. किसान सड़कों पर हैं और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे जा रहे हैं. कृषि सुधारों की आड़ में कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के अलावा अब केंद्र की भाजपा सरकार किसानों के खिलाफ एक और फरमान जारी कर रही है, जिसके तहत अब न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि सीधे उनके खातों में जमा होगी. लेकिन पंजाब के उन 24 फ़ीसदी किसानों का क्या होगा जिनके नाम ना तो खेती की जमीन है और जो पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं. सिद्धू ने कृषि कानूनों को लेकर कई सवाल खड़े किए और कहा कि वह पहले दिन से किसानों के पक्ष में खड़े हैं और जब तक कानून रद्द नहीं होंगे कृषि कानूनों का विरोध करते रहेंगे.