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पंजाब सरकार ने हत्या के 7 मामलों की जांच NIA को सौंपी

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि, इन मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) एक्ट 2008 के सेक्शन 6 के अंतर्गत केस एन.आई.ए को सौंपने का फ़ैसला किया गया है क्योंकि सभी मामलों में कार्य प्रक्रिया तकरीबन एक ही जैसी थी.

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कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो)
कैप्टन अमरिंदर सिंह (फाइल फोटो)

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राज्य में लक्षित हत्याएं करने के पीछे संभावी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साजिश को देखते हुए पंजाब सरकार ने सात मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए) को सौंपने का फैसला किया है.

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि, इन मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) एक्ट 2008 के सेक्शन 6 के अंतर्गत केस एन.आई.ए को सौंपने का फ़ैसला किया गया है क्योंकि सभी मामलों में कार्य प्रक्रिया तकरीबन एक ही जैसी थी. डा. वाई.सी. मोदी के नेतृत्व वाली एन.आई.ए. टीम द्वारा सोमवार को पंजाब पुलिस के अधिकारियों के साथ किए विचार-विमर्श के बाद केस तब्दील करने का यह फैसला लिया गया है. दोनों टीमों ने इस बात पर सहमति जताई है कि इन मामलों में आगे जांच करने के लिए केंद्रीय एजेंसी समर्थ है. लक्षित की गई इन हत्याएं के साजिशकार और वित्त मुहैया कराने वाले यूके, कैनेडा, इटली आदि देशों से कार्य कर रहे थे जिस से इस जांच का घेरा विशाल करने की जरूरत है.

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इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब पुलिस को निर्देश दिए कि वह आगे इन मामलों की आगामी जांच के लिए मामले की सारी सामग्री एन.आई.ए. के हवाले करे. इन मामलों में पुलिस ने हाल ही में इंग्लैंड के नागरिक जगतार सिंह जौहल और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया है. जनवरी 2016 से अक्तूबर 2017 के बीच आरएसएस, शिव सेना, डीऐसऐस नेताओं को लक्षित कर हत्या करने संबंधी मामलों को हल करने के लिए ऐसा किया गया है.

सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि इस कदम को मुख्य उदेश्य विदेश मंत्रालय इंटरपोल, यूरोपोल और विदेशी सरकारों के सहयोग द्वारा विदेश में बैठे संगठनों और लोगों के विरूद्ध कार्यवाही करना है जो कि विदेशी धरती पर बैठ कर पंजाब के विरूद्ध षंडयत्र रच रहे हैं. यह जरूरी है कि इन तत्वों पर नकेल डाली जाए जो राज्य में कत्ल और तबाही मचाकर पंजाब में आंतकवाद को पुन: स्थापित करना चाहते हैं.

इस फैसले से सोशल मीडिया व किसी विशेष हित वाली संस्थाओं और गैर-सामाजिक तत्वों द्वारा चलाई जा रहे झूठे अभियानों और सरकार को बदनाम करने वाली साजिशों को भी बेनकाब करने में मदद करेगी जिनका मंतव्य अपने गैर-असामाजिक कार्यो के लिए धन जुटाना और पुलिस और जांच एंजिसयों को काम में रूकावट डालना है. एन.आई.ए. के हवाले किए गए सात केसों में आरएसएस के नेता रविन्द्र गौसाई के कत्ल का मामला भी है जिसमें एनआईए के द्वारा जांच की जा रही है. गोसाई का कत्ल 17 अक्तूबर को लुधियाना में हुआ था.

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सरकार चाहती है कि आरएसएस के प्रदेश प्रधान ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा के कत्ल का मामला भी एनआईए को सौंपा जाए। इस केस की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है. गगनेजा का कत्ल अगस्त 2017 को जांलधर में हुआ था.

अन्य मामले जिनकी जांच एनआईए को सौंपी जानी है उनमें लुधियाना में किदवई नगर स्थित आरएसएस की शाखा पर फायरिंग और फरवरी 2016 को स्थानीय हिन्दू नेता अमित अरोड़ा पर हुई फायरिंग के केस भी शामिल हैं. इसी श्रृंखला में अप्रैल 2016 को खन्ना में लेवर सर्विस विंग, शिव सेना के प्रधान दुर्गादास गुप्ता जिला प्रचारक हिंदू तख्त के नेता अमित शर्मा का जनवरी 2017 में लुधियाना में हुआ था कत्ल, डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु सत कुमार और उसके पुत्र रमेश कुमार को फरवरी 2017 को खन्ना में हुए कत्ल के मामले के अलावा जुलाई 2017 को लुधियाना में ईसाई पादरी सुल्तान मसीह के कत्ल का मामला शामिल है.

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