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बेटा पूर्व डिप्टी CM, बहू भी रह चुकी केंद्रीय मंत्री... ये है प्रकाश सिंह बादल के कुनबे का राजनीतिक रसूख

पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल की स्थापना की थी. मंगलवार रात उनका निधन हो गया. वो 95 साल के थे. 2008 में उन्होंने अकाली दल की कमान अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी थी. सुखबीर सिंह बादल अपने पिता प्रकाश सिंह बादल की सरकार में डिप्टी सीएम भी रहे.

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पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल (File Photo)
पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल (File Photo)

पंजाब की सियासत में अच्छा-खासा दखल रखने वाले बादल परिवार के चीफ पेट्रन प्रकाश सिंह बादल अब नहीं रहे. मंगलवार रात उनका निधन हो गया. वो 95 साल के थे. वे 94 साल की उम्र तक राजनीति में सक्रिय रहे थे. पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल की स्थापना की थी. 2008 में उन्होंने अकाली दल की कमान अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी थी. सुखबीर सिंह बादल अपने पिता प्रकाश सिंह बादल की सरकार में डिप्टी सीएम भी रहे. 

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बादल परिवार शिरोमणि अकाली दल का सिरमौर है, जो सबसे बड़ी सिख पार्टी है. इस परिवार के मजीठिया परिवार के साथ नजदीकी संबंध हैं, जो खुद को महाराजा रणजीत सिंह के मजीठिया सेनापतियों के वंशज बताते हैं. 

मजीठिया परिवार से आने वालीं हरसिमरत कौर प्रकाश सिंह बादल की बहू और सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हैं. हरसिमरत कौर सुरजीत सिंह मजीठिया की पोती हैं, जो 1952 में जवाहरलाल नेहरू सरकार में भारत के रक्षा उपमंत्री थे. बादल-मजीठिया रिश्ते से दोनों खानदान मजबूत हो गए. कौर केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं.

हरसिमरत कौर के भाई बिक्रमजीत सिंह मजीठिया भी पंजाब की सियासत में बड़ा नाम हैं. पंजाब में जब चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार थी, तब ड्रग्स रैकेट मामले में मजीठिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. 

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पंजाब की सियासत में कैरों परिवार की अच्छी पकड़ है. इस परिवार के प्रताप सिंह कैरों 10 साल तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं. कैरों परिवार पारंपरिक तौर पर कांग्रेसी था. लेकिन परिवार की राजनीति तब बदली जब प्रताप सिंह कैरों के पोते आदेश प्रताप सिंह की शादी प्रकाश सिंह बादल की बेटी परणीत कौर के साथ 1982 में हुई. आदेश प्रताप सिंह अकाली दल की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.

प्रकाश सिंह बादल के भाई गुरदास बादल भी सांसद और विधायक रहे हैं. गुरदास बादल के बेटे मनप्रीत ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की तो अकाली दल से थी, लेकिन बाद में चाचा प्रकाश सिंह बादल से मनमुटाव हुआ और उन्होंने पार्टी छोड़ दी. मनप्रीत ने अपनी पार्टी बनाई, जिसका बाद में कांग्रेस में विलय हो गया. 

मनप्रीत प्रकाश सिंह बादल के पसंदीदा भतीजे हुआ करते थे. लेकिन मनमुटाव होने के बाद अक्टूबर 2010 में उन्होंने अकाली दल छोड़ दी थी.

पंजाब की सियासत में बादल परिवार...

प्रकाश सिंह बादल पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं. पहली बार 1970 में वो मुख्यमंत्री बने, लेकिन पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. उसके बाद 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-17 तक मुख्यमंत्री रहे.

प्रकाश सिंह बादल 11 बार विधायक रहे हैं. अपने राजनीतिक जीवन में वो सिर्फ दो बार चुनाव हारे हैं. 1977 में वो मोरारजी देसाई की सरकार में वो केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं.

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8 दिसंबर 1927 को बादल गांव में मलौट के पास जन्मे प्रकाश सिंह बादल ने लाहौर के फोरमेन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव 1957 में कांग्रेस की टिकट पर मलौट से जीता. उसके बाद 1969 में वो गिड्डरबाहा सीट से शिरोमणि अकाली दल पर जीते. 1970 में वे पहली बार सीएम बने. बादल उस समय देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे. हालांकि, वो एक साल से भी कम वक्त तक ही मुख्यमंत्री रह सके.

शिरोमणि अकाली दल ने कई दशकों तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा. लेकिन 2020 में कृषि कानूनों को लेकर मतभेद होने पर अकाली दल ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया.

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