पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा में हुई चूक सामने आई है. आतंकी एयरबेस में घुसने में इसलिए कामयाब रहे क्योंकि उस रात एयरबेस की फेंसिंग फ्लडलाइट काम ही नहीं कर रही थीं. एयरबेस की 11 मीटर ऊंची दीवार अंधेरे में थी. इसी का फायदा उठाकर आतंकी एयरबेस में दाखिल हो गए. दीवार के पास लगे यूकेलिप्टस का पेड़ उनके लिए मददगार साबित हुआ.
ऐसे सामने आई यह खामी
यह दावा अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी जांच में किया है. अखबार ने लिखा है कि सुरक्षा में खामियों की तमाम वजहों में से एक यह भी हो सकती है. अखबार ने बताया है कि उसने यह जांच प्रत्यक्षदर्शियों, पुलिस और सेना के अधिकारियों, खुफिया एजेंसियों और दिल्ली, चंडीगढ़ और पठानकोट में सरकारी अफसरों से बातचीत के आधार पर की है. इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि सुरक्षा में कहीं न कहीं कोई न कोई खामी रह गई. इसकी जांच की जा रही है.
ड्रग्स तस्करी के रास्ते आए आतंकी
इससे पहले खुफिया एजेंसियां आशंका जता चुकी हैं कि आतंकी सीमापार से ड्रग्स तस्करी के रास्ते ही भारत में दाखिल हुए थे. बामियाल गांव के किनारे पैदल चलने वालों के पुल के पास पुरुषों के पैरों के निशान भी मिल चुके हैं. सबसे पहले ये निशान एक रिटायर्ड फौजी ने देखे थे और आतंकवादी के होने के संदेह में इस बात की सूचना फौरन पुलिस को दी थी.
BSF ने नकारी भगवाल गांव की थ्योरी
पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने शक जताया है कि आतंकी सीमांत गांव भगवाल होकर आए होंगे. हालांकि बीएसएफ ने इस थ्योरी को नकार दिया है. उसका कहना है कि इलाके से घुसपैठ की कोई वीडियो फुटेज भी नहीं मिली है. लेकिन रावी नदी के किनारे वाले एक किलोमीटर के हिस्से में फेंसिंग भी नहीं है, इसलिए घुसपैठ आसान है. पिछले साल दीनानगर के आंतकी भी इसी रास्ते से आए थे.
टैक्सी ड्राइवर को भी भगवाल के पास ही मारा
अखबार के मुताबिक पुलिस को शक है कि टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह को भी आतंकियों ने भगवाल और जनियाल के बीच ही कहीं मारा है. क्योंकि इकागर ने अपने गांव भगवाल से निकलते समय जनियाल में रहने वाली अपने रिश्तेदार को फोन किया था कि वह आ रहा है. लेकिन वह जनियाल नहीं पहुंचा. रिपोर्ट के मुताबिक इकागर ने अपने रिश्तेदारों को बताया था कि उसे एक किसी का फोन आया है कि एक मरीज को अस्पताल लेकर जाना है. हालांकि उस परिवार ने मना किया है कि उसने ऐसा कोई फोन नहीं किया. भगवाल एयरबेस से 35 किलोमीटर दूर है. पुलिस की जांच के मुताबिक इकागर के मोबाइल पर पाकिस्तान से एक फोन कॉल भी रिसीव की गई थी.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अखबार ने बीएसएफ के पूर्व डीजी गुरबचन जगत से बात की है. उन्होंने स्वीकारा है कि नदियों की फेंसिंग करना बेहद मुश्किल है, लेकिन दूसरा जरिया भी है. नदियों पर नेट लगाकर सुरक्षा की जा सकती है. टेक्निकल सर्विलांस को मजबूत किया जाए और लगातार गश्त की जाए तो घुसपैठ के खतरे को काफी हद तक कम करने में कामयाबी मिल सकती है.