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प्रकाश पर्व पर PM को ना बुलाने पर गर्माई राजनीति, कांग्रेस ने जताई आपत्ति, अकाली-AAP ने बताया सही

सिख गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर इस बार पीएम मोदी को नहीं बुलाया जा रहा है, ऐसे में इस फैसले पर काफी विवाद हो रहा है. कांग्रेस द्वारा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की आलोचना की गई है, जबकि अकाली दल-आम आदमी पार्टी ने इसे मौजूदा हालात के हिसाब से सही बताया है.

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पीएम मोदी को बुलावा ना देने पर विवाद (फाइल)
पीएम मोदी को बुलावा ना देने पर विवाद (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सिख गुरु तेगबहादुर के प्रकाश पर्व पर विवाद
  • गुरुद्वारा कमेटी ने पीएम मोदी ने नहीं दिया न्योता
  • कांग्रेस ने पंजाब में जताई आपत्ति, अकाली दल ने किया समर्थन

कृषि कानून के मसले पर किसानों का आंदोलन जारी है और इस बीच पंजाब में सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिख गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर ना बुलाने का फैसला किया है. अब इस मसले पर पंजाब की राजनीति गर्माने लगी है, कांग्रेस की ओर से इस फैसले पर आपत्ति जताई गई है लेकिन आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल ने फैसले को बिल्कुल सही करार दिया है.

फैसले पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति
इस फैसले को पंजाब सरकार ने अकाली दल के दबाव में लिया गया फैसला करार दिया है. पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि SGPC का जो भी कार्यक्रम होता है वो साझा होता है, गुरु तेगबहादुर जी भी पूरे देश के हैं ऐसे में प्रधानमंत्री को इस कार्यक्रम में ना बुलाने का फैसला सही नहीं है. 

सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस कार्यक्रम में बुलाना चाहिए था और उन्हें सिख गुरुओं के द्वारा किसानी को लेकर दी गई शिक्षा और बातें बतानी चाहिए थी ताकि उन्हें किसानों के दर्द का एहसास करवाया जा सके. कांग्रेस नेता ने कहा कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर पूरी तरह से बादल परिवार का कब्जा है और उनके दबाव में ही इस तरह का राजनीतिक फैसला लिया गया है. 

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संस्था ने स्वतंत्र रूप से लिया फैसला: अकाली दल
इस मसले पर अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि गुरुद्वारा कमेटी एक संवैधानिक धार्मिक संस्था है, जिसके बकायदा चुनाव होते हैं. ऐसे में वो किसे बुलाना चाहती है, तमाम हालात को देखते हुए ही फैसला लिया जाता है और इस बार भी एसजीपीसी ने पूरे हालात को देखते हुए ही ये फैसला लिया होगा और इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं है. 

दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस के नेता इस मुद्दे को राजनीतिक ना बनाएं, ये एक धार्मिक संस्था की तरफ से लिया गया फैसला है जो कि एक स्वतंत्र संस्था है और अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है.

अकाली दल की तरह ही आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले में गुरुद्वारा कमेटी के फैसले को सही बताया है. AAP का कहना है कि जिस तरह से किसान विरोधी कानून केंद्र सरकार की ओर से लाया गया है, उसका सीधा असर पंजाब के किसानों पर पड़ा है. ऐसे में केंद्र सरकार की ज्यादतियों को देखते हुए किसानों के समर्थन में अगर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने प्रधानमंत्री को अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाने का फैसला किया है तो ये बिल्कुल सही है.

फैसले पर क्या बोली बीजेपी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कार्यक्रम का न्योता ना दिए जाने के मसले पर बीजेपी का कहना है कि पीएम किसी दल के नहीं बल्कि देश के होते हैं. अगर कांग्रेस के नेता ये बात कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री को एसजीपीसी के कार्यक्रम में बुलाना चाहिए था और उसके बावजूद भी एसजीपीसी ने प्रधानमंत्री को नहीं बुलाया तो इसका जवाब मिलना चाहिए.

गौरतलब है कि कृषि कानून के मसले पर जारी आंदोलन की अगुवाई पंजाब के किसान ही कर रहे हैं, जो पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. इसी को देखते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने बयान दिया था कि हमारी संस्था सिखों की साझा संस्था है, ऐसे में केंद्र के कृषि कानूनों से पंजाब के किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है, यही कारण है कि हम पीएम मोदी को प्रकाश पर्व के कार्यक्रम में नहीं बुला सकते हैं.

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आपको बता दें कि गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व अप्रैल महीने में मनाया जाना है. नवंबर में ही इसका जश्न शुरू हो गया था, जिसके तहत अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. पंजाब सरकार द्वारा विशेष तौर पर 2021 में इस प्रकाश पर्व को मनाने की तैयारी है.

 

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