पंजाब में करीब डेढ़ साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी मिलने के बाद कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने. इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के सातवें संस्करण के मुताबिक सर्वे में पंजाब की जो ताजा तस्वीर निकली है, वो कैप्टन की चिंता बढ़ाने वाली है.
सर्वे में 45 फीसदी प्रतिभागियों ने अमरिंदर सरकार के कामकाज को लेकर नाखुशी जताई है. सिर्फ 28 फीसदी वोटर ही राज्य सरकार के कामकाज से संतुष्ट है. अमरिंदर सरकार के कामकाज को औसत बताने वाले वोटर 24 फीसदी हैं.
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लिए ये राहत वाली बात है कि अब भी वो राज्य में मुख्यमंत्री के लिए सबसे ज्यादा लोगों की पसंद बने हुए हैं. PSE सर्वे में 42 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वो कैप्टन को आगे भी पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और वयोवृद्ध अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल के पक्ष में 29 फीसदी प्रतिभागियों ने ही वोट दिया. बादल के पुत्र सुखबीर सिंह बादल को मुख्यमंत्री के लिए 12 फीसदी प्रतिभागियों ने अपनी पसंद बताया.
पंजाब के लोगों के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
सर्वे में पंजाब के लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया. इसके अलावा महंगाई, नाला-नाली, साफ-सफाई, किसानों की समस्याएं और गांवों को जोड़ने वाली सड़कों की स्थिति भी अन्य अहम मुद्दों के तौर पर उभरे. पंजाब में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के लिए 31 फीसदी प्रतिभागी केंद्र सरकार को जिम्मेदार मानते हैं. इसके लिए राज्य सरकार को 4 फीसदी वोटरों ने ही जिम्मेदार माना. 50 फीसदी प्रतिभागियों की राय में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही जिम्मेदार हैं.
राफेल डील पर क्या है पंजाब के लोगों की राय?
सर्वे के मुताबिक पंजाब में राफेल डील के बारे में 71 फीसदी प्रतिभागियों ने नहीं सुना. सिर्फ 29 फीसदी को ही इसकी जानकारी थी, जिन्होंने राफेल डील के बारे में सुन रखा है, उनमें से 35 फीसदी का मानना है कि डील में भ्रष्टाचार हुआ है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 17 फीसदी वोटरों की राय में राफेल डील में भ्रष्टाचार नहीं हुआ.
पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा, ‘लोग कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. ये उन राज्यों में से एक हैं, जहां चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया गया था.’जाखड़ ने कहा, ‘पंजाब अकेला राज्य है जहां कर्ज माफी का वादा किया था और उस पर अमल करके दिखाना शुरू किया. सरकार चाहती तो इसे चुनाव तक टाल सकती थी.’
पंजाब में AAP हो चुकी है खत्मः आशुतोष
आशुतोष ने माना कि AAP पंजाब में अपनी जमीन खो चुकी है. आशुतोष ने कहा, ‘पंजाब में AAP खत्म हो चुकी है. मोदी सरकार और अमरिंदर सरकार के खिलाफ लोगों में भारी असंतोष के बावजूद AAP कहीं वजूद में नहीं है.’
योगेंद्र यादव के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने कई चुनौतियां हैं. साथ ही पंजाब के वोटर दोबारा अकाली-बीजेपी गठबंधन को सत्ता में नहीं लाना चाहते. यादव ने कहा, 'किसानों में कुछ हद तक नाराजगी है, क्योंकि कांग्रेस ने कर्ज माफी और अन्य सुविधाओं को लेकर उनसे लंबे चौड़े वादे किए थे. किसानों के संगठन अमरिंदर सरकार से बहुत नाखुश हैं. ऐसे में वहां सत्ता विरोधी रूझान की संभावना बनती है. कांग्रेस से लोग नाखुश हैं, लेकिन वो अकाली-बीजेपी गठबंधन को दोबारा सत्ता में नहीं लाना चाहते. साथ ही तीसरे विकल्प ने खुद को तबाह कर लिया है.
सर्वे के निष्कर्ष से बीजेपी ने जताई असहमति
संबित पात्रा ने सर्वे के इस निष्कर्ष से असहमति जताई कि पंजाब में राहुल गांधी की लोकप्रियता प्रधानमंत्री मोदी से अधिक है. पात्रा ने कहा कि जब पंजाब में चुनाव हो रहे थे, तब ऐसी चर्चा थी कि राहुल गांधी के पंजाब में चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाने से अमरिंदर सिंह बहुत खुश थे. पात्रा ने कहा, ‘जहां तक प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी का सवाल है, तो राहुल गांधी खुद ही मोदी का प्रतिद्वंद्वी बनने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं.’
117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा के लिए 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस को 77 सीट पर कामयाबी मिली. इन चुनावों से पंजाब में आगाज करने वाली आम आदमी पार्टी को 20 सीट पर विजय मिली. शिरोमणि अकाली दल बादल को 15 सीट और उसकी सहयोगी बीजेपी को 3 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. इंडिया टुडे-एक्सिस-माई-इंडिया सर्वे में पंजाब के 13 संसदीय क्षेत्रों में 4,980 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.