जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकी हमले में 5 जवान शहीद हुए. अटैक में मोगा के चाडिक गांव के रहने वाले लांस नायक कुलवंत सिंह ने भी बलिदान दिया. कुलवंत को अपने पिता की ही तरह वीर गति मिली. उनके पिता 1999 में करगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे. जब कुलवंत के पिता करगिल युद्ध में शहीद हुए, तब कुलवंत की उम्र लगभग दो साल थी. उनकी शहादत के ठीक 11 साल बाद 2010 में कुलवंत सेना में शामिल हुए थे.
लांस नायक कुलवंत सिंह की मां ने एजेंसी को बताया कि उनके बेटे ने घर से जाने के पहले उनसे कहा था,'चिंता करने की जरूरत नहीं है, वह अच्छे से रहेगा.' कुलवंत की 3 साल की बेटी और तीन महीने का एक बेटा है. कुलवंत का परिवार गांव में ही रहता है. गांव के सरपंच गुरचरण सिंह ने बताया कि कुलवंत परिवार का एकमात्र कमाने वाला था. इसलिए सरकार को उसके परिवार की मदद के लिए आगे आना चाहिए.
कुलवंत सिंह के भाई का कहना है कि सरकार और सेना को हमले का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए. उनका भाई अपने परिवार से बहुत प्यार करता था और उसने अपने बेटे का समय पर टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए उनसे कई बार कहा था. कुलवंत के अलावा सेना के 4 और जवान इस हमले में शहीद हुए हैं. बलिदान देने वाले पांच जवानों में से 4 पंजाब तो वहीं एक ओडिशा के रहने वाले थे.
ओडिशा के शहीद जवान की 7 महीने की बेटी
शहीद जवानों में लांस नायक देबाशीष बिस्वाल ओडिशा के रहने वाले थे. वे पुरी जिले के अलगुम गांव से थे और 2021 में ही उनकी शादी हुई थी. वह अपने पीछे पत्नी के अलावा 7 महीने की बेटी छोड़ गए हैं. 30 वर्षीय बिस्वाल स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय थे. शहीद जवान के रिश्तेदार दिलीप बिस्वाल ने बताया कि वह देश की सेवा करने के इरादे से सेना में शामिल हुए थे. जब भी वह हमसे मिलने आते थे, वह सामाजिक गतिविधियों में भाग लेते थे और स्थानीय युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे.
कुछ घंटे पहले ही की थी परिवार से बात
हमले में शहीद सिपाही सेवक सिंह बठिंडा के बाघा गांव के रहने वाले थे. उनके परिवार का भी रो-रोकर बुरा हाल है. वहीं बटाला के तलवंडी बर्थ गांव में सिपाही हरकिशन सिंह के घर पर ग्रामीणों ने मातृभूमि के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान की सराहना की. हरकृष्ण हाल ही में अपने परिवार से मिलने गए थे. ग्रामीणों ने कहा कि शहीद होने से कुछ घंटे पहले उन्होंने अपनी पत्नी और दो साल की बेटी से वीडियो कॉल पर बात की थी. हवलदार मनदीप सिंह लुधियाना जिले के रहने वाले थे.
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ग्रेनेड फेंककर गाड़ी पर की गोलीबारी!
भारी बारिश और लो विजिबिलिटी के बीच 20 अप्रैल को दोपहर 3 बजे सेना की गाड़ी जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर से गुजर रही थी. राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के जवानों को लेकर जा रही इस गाड़ी में राशन के अलावा ईंधन भी रखा हुआ था. गाड़ी जब भीमबेर गली और पुंछ के बीच हाइवे से गुजर ही रही थी तभी अचानक आतंकियों ने ग्रेनेड फेंककर गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.
एक घायल जवान अस्पताल में भर्ती
तेज बारिश के बीच गाड़ी में मौजूद जवान हमले के बारे में कुछ समझ पाते, इससे पहले ही आतंकियों ने सेना की गाड़ी पर करीब 50 राउंड फायरिंग की. इस बीच वाहन में आग लग गई. इस हमले में हमारे 5 जवान शहीद हो गए. एक सैनिक का इलाज गंभीर हालत में राजौरी के सैन्य अस्पताल में चल रहा है.
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PAFF ने ली हमले की जिम्मेदारी
अटैक की जिम्मेदारी पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है. यह संगठन पाकिस्तान बेस्ड आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करता है. PAFF के कबूलनलामे से साफ होता है कि इस हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ है. पहले इस घटना को अंजाम देने में 4 आतंकियों की भूमिका सामने आ रही थी, लेकिन ताजे इनपुट के मुताबिक घटना को अंजाम देने में 6-7 आतंकी शामिल हो सकते हैं.
सर्च ऑपरेशन में ली ड्रोन की मदद
इस हमले के बाद आतंकियों का पता लगाने के लिए सेना ने हमले के अगले दिन शुक्रवार को बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया. सेना ने अपने अभियान को जारी रखते हुए ड्रोन और हेलीकॉप्टरों की मदद भी ली. विशेष बलों की कई टीमों को तलाशी अभियानों में मदद के लिए भेजा गया.