scorecardresearch
 

पंजाब: कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी कांग्रेस सांसद परनीत कौर BJP में हुईं शामिल

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है. वो पटियाला से सांसद थीं.

Advertisement
X
परनीत कौर (फाइल फोटो)
परनीत कौर (फाइल फोटो)

पजाब (Punjab) के पटियाला से सांसद और कैप्टन अमरिन्दर सिंह की पत्नी परनीत कौर (Preneet Kaur) ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. इससे पहले वो कांग्रेस पार्टी से सांसद थीं. उन्होंने बीजेपी की सदस्यता लेते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम उससे जुड़ें, जो हमारे बच्चों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने में सक्षम हैं. उनकी नीतियों और कार्यो को देखते हुए मैंने ऐसा फैसला किया है.

Advertisement

परनीत कौर ने कहा कि मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम किया है. मुझे विश्वास है कि नरेंद्र मोदी एकमात्र व्यक्ति हैं, जिनकी देख-रेख में हमारे बच्चे सुरक्षित और समृद्ध होंगे.

कैप्टन अमरिंदर ने कांग्रेस छोड़कर बनाई थी पार्टी

20 सिंतबर 2021 को जब कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन के हाथों से पंजाब की कप्तानी लेकर दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को सौंप दी, तो अमरिंदर सिंह बागी बन गए. उन्होंने पार्टी साथ छोड़ दिया और अपनी खुद की पार्टी (पंजाब लोक कांग्रेस) बनाई और बीजेपी के साथ मिलकर पंजाब की सियासत में किस्मत आजमाने उतरे और हार का सामना करना पड़ा था.

बता दें कि कैप्‍टन अमर‍िंदर स‍िंह को पंजाब की स‍ियासत का बड़ा नाम माना जाता रहा हैं. दो दशकों तक कांग्रेस का रज्य में चेहरा रहे हैं. कैप्टन  का जन्म 11 मार्च 1942 को पटियाला के एक शाही परिवार में हुआ था. महाराजा यादवेंद्र सिंह के बेटे अमरिंदर की पढ़ाई लिखाई कसौली के वेल्हम बॉयज स्कूल, स्नावर स्कूल और देहरादून के दून स्कूल में हुई. दो बार पंजाब के मुख्यंत्री रहे अमरिंदर के लिए एक वक्त ऐसा भी था जब कांग्रेस में उनका अच्छा खासा दबदबा था. गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे और अब उसी कांग्रेस के खिलाफ झंडा उठा रखा है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: BJP ने हिमाचल में कैप्टन अमरिंदर सिंह के जरिए बिछाई थी बिसात! कई दिन पहले तैयार हुआ था प्लान

कैप्टन का सियासी पारी का आगाज

कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिता महाराजा यादवेंद्र सिंह पटियाला रियासत के अंतिम राजा थे. राज परिवार ताल्लुक रखने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीय सेना में भी सेवाएं दी और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़े भी. 1980 के दशक में देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर अमरिंदर सिंह ने राजनीति में कदम रखा था. कांग्रेस को पंजाब में चेहरा चाहिए था और कैप्टन को भी एक मजबूत शुरुआत की दरकार थी. 

ऐसे में राजीव गांधी ने अपने 'दोस्त' कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भरोसा जताया और अमरिंदर ने जीत हासिल कर उस भरोसे को हमेशा के लिए जीत लिया. लेकिन फिर चार साल बाद जब गोल्डन टैंपल पर सैन्य कार्रवाई हुई, तो कैप्टन कांग्रेस से ही नाराज हो लिए. उनका गुस्सा ऐसा रहा कि उन्होंने एक झटके में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अकाली दल का दामन थाम लिया.

 

Live TV

Advertisement
Advertisement