scorecardresearch
 

अमृतसर का दशहरा कांड: एक साल बाद भी न दोषियों को सजा मिली, न पीड़ितों को नौकरी

पिछले साल की मनहूस यादें आज भी अमृतसर के लोगों के मन में ताजा है. पिछले साल विजयदशमी के दिन रेल की पटरी पर खड़े होकर रावण दहन देखने वाले 60 लोगों ने ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गंवा दी थी.

Advertisement
X
अमृतसर ट्रेन हादसा (फाइल फोटो-आईएएनएस)
अमृतसर ट्रेन हादसा (फाइल फोटो-आईएएनएस)

Advertisement

  • अमृतसर रेल हादसे के पीड़ित परिवारों ने निकाला कैंडल मार्च
  • आरोपियों पर कार्रवाई और नौकरी का वादा पूरा करने की मांग

अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक के रूप में विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है. दशहरा के दिन पूरे देश में उल्लास है लेकिन पंजाब के अमृतसर के लोग मातम मना रहे हैं. दरअसल, पिछले साल की मनहूस यादें आज भी यहां के लोगों के मन में ताजा है. पिछले साल विजयदशमी के दिन रेल की पटरी पर खड़े होकर रावण दहन देखने वाले 60 लोगों ने ट्रेन की चपेट में आकर अपनी जान गंवा दी थी.

साल 2018 में विजयदशमी के दिन अमृतसर में हुए उस भयानक हादसे के पीड़ित परिवार आज भी आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकार के जरिए हादसे में जान गंवाने वाले पीड़ित परिवार के सदस्यों को नौकरी देने का वादा आजतक पूरा नहीं हो पाया है. रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों ने जोड़ा फाटक तक कैंडल मार्च निकाला और हादसे का शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी.

Advertisement

कैंडल मार्च के दौरान पीड़ित परिवारों ने कहा कि पीड़ित परिवारों के घर में खाने को रोटी तक नहीं है. सरकार ने नौकरी का वादा भी अभी तक पूरा नहीं किया है. साथ ही आरोपियों को सजा दी जाए. इस दौरान अकाली दल नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी कैंडल मार्च में लोगों का साथ दिया. मजीठिया का कहना है कि पंजाब सरकार ने झूठे वादे किए और आरोपियों के खिलाफ कर्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि आरोपियों पर सरकार कार्रवाई करे और वादे के मुताबिक पीड़ित परिवारों को नौकरी दे.

क्या है मामला?

साल 2018 में दशहरा के दिन अमृतसर के जोड़ा फाटक पर रेल की पटरियों पर सैंकड़ों लोग मौजूद थे. अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास दशहरा का आयोजन हो रहा था और रावण का पुतला जलाया जा रहा था. इसी दौरान रेलवे ट्रैक पर लोग खड़े हुए थे. लेकिन तभी अचानक ट्रेन आ गई और देखते ही देखते वहां लाशों का ढेर लग गया.

पठानकोट से आ रही डीएमयू ट्रेन उस ट्रैक पर खड़े सभी लोगों को रौंदते हुए चली गई और ट्रैक के इर्द-गिर्द लाशें ही दिखाई दे रही थीं. वहीं सामने ही रावण जल रहा था और लोग चीख रहे थे. इस हादसे में 60 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग हादसे में घायल हो गए थे. घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने बताया कि ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा थी.

Advertisement

वहीं इस हादसे के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी वहां मुख्य अतिथि थीं. पीड़ित परिवारों का कहना है कि हादसे के बाद पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी ने पीड़ित परिवारों के लोगों को गोद लेने, आश्रित परिवारों के एक सदस्य को नौकरी देने और इलाज का खर्च देने का वादा किया था.

Advertisement
Advertisement